महाराष्ट्र का सियासी ड्रामा दिल्ली से मुंबई तक अपने चरम पर पहुंच चुका है। सोमवार को दिन में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में डेढ़ घंटे की बहस के बाद सुनवाई पूरी कर ली। कोर्ट मंगलवार सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएगा।इस बीच, फैसले से करीब 16 घंटे पहले शाम करीब सात बजे शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन ने फाइव स्टार होटल में 162 विधायकों की परेड करवाकर शक्ति प्रदर्शन किया। इससे पहले भाजपा ने कोर्ट में 170 विधायकों के समर्थन का पत्र होने की बात कहकर बहुमत साबित करने का दावा किया। वहीं, विपक्षी ‘महाविकास अघाड़ी’ ने दिन में राज्यपाल को 162 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपकर सरकार बनाने का दावा किया।
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच के समक्ष सुबह 10:46 बजे सुनवाई शुरू होते ही राज्यपाल और केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने फडणवीस और एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार द्वारा 22 नवंबर को राज्यपाल को दिए पत्र पेश किए।
मेहता ने कहा, इन पत्रों के आधार पर राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता दिया। उन्होंने जो किया संविधान के तहत किया, उस पर सवाल नहीं उठा सकते। वहीं, फडणवीस तथा कुछ विपक्षी दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि भाजपा और अजित ने राज्यपाल को 170 विधायकों के समर्थन का पत्र पेश किया था।
शिवसेना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल तथा एनसीपी-कांग्रेस की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने 24 घंटे में बहुमत परीक्षण का निर्देश देने की मांग की। उन्होंने कहा, अजित को छोड़ बाकी सभी विधायक उनके साथ हैं।
अजित की ओर से पेश वकील ने कहा, वही असली एनसीपी हैं। उन्होंने विधायक दल के नेता के तौर पर समर्थन दिया। दरअसल, राज्यपाल ने 22 नवंबर को फडणवीस को शपथ दिलाने के बाद बहुमत साबित करने के लिए 14 दिन का समय दिया था।
विधायकों ने ली पार्टी से ईमानदारी की शपथ
विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने विधायकों को अलग-अलग होटलों में ठहराया है। सुरक्षा और निगरानी के लिए पार्टी कार्यकर्ता लगाए हैं। शाम करीब पौने सात बजे तीनों पार्टियों के विधायक अलग-अलग वाहनों से होटल ग्रैंड हयात पहुंचे। यहां मीडिया के सामने 162 विधायकों की परेड का दावा किया गया।
इस दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार, उनकी बेटी सुप्रिया सुले, शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे, उनके बेटे आदित्य ठाकरे और कांग्रेस के राज्य प्रभारी मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व सीएम अशोक चह्वाण और पृथ्वीराज चह्वाण सहित बड़ी संख्या में तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता मौजूद थे।
इस दौरान तीनों दलों के विधायकों ने अपने-अपने पार्टियों के अध्यक्ष के नाम पर एकजुटता और पार्टी के खिलाफ काम न करने की शपथ ली। राज्य में शिवसेना के 56, एनसीपी के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। कुछ निर्दलीय तथा छोटे दलों के विधायक भी होटल में मौजूद थे।
फडणवीस की बैठक में नहीं पहुंचे अजित
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने दूसरी बार सीएम पद संभाल लिया। वह डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचे। वहीं, शाम को विपक्षी विधायकों के परेड से ठीक पहले उन्होंने बैठक बुलाई लेकिन इसमें अजित नहीं पहुंचे। बैठक विश्व बैंक के प्रतिनिधियों के साथ सूखा, बाढ़ और आपदा प्रबंधन को लेकर हुई थी। इस दौरान पवार के लिए आरक्षित फडणवीस के बगल वाली कुर्सी खाली रही।
हम दिखाएंगे शिवसेना क्या है
हमारे दोस्त बढ़ गए हैं। हम सिर्फ पांच साल कुर्सी पर बैठने नहीं आए, बल्कि 25-30 साल के लिए आए हैं। हमारी संख्या इतनी ज्यादा है कि एक फोटो में नहीं आ सकती। सत्ता में जय नहीं, सत्यमेव जयते होना चाहिए। अब हम दिखाते हैं कि शिवसेना क्या है।
– उद्धव ठाकरे,शिवसेना प्रमुख
यह गोवा नहीं महाराष्ट्र है : शरद
कर्नाटक, गोवा, मणिपुर में भी भाजपा ने सत्ता का दुरुपयोग कर बिना बहुमत की सरकार बनाई, लेकिन यह गोवा नहीं है। अजित पवार ने हम सबको गुमराह किया। बहुमत के लिए जरूरी आंकड़े से ज्यादा विधायक यहां मौजूद हैं। बहुमत परीक्षण के दिन 162 से ज्यादा विधायक लेकर आऊंगा।
– शरद पवार,एनसीपी प्रमुख
कांग्रेस बोली- हम सब साथ हैं
हम सब साथ हैं और सरकार में भी साथ होंगे। मैं कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए हमें गठबंधन की अनुमति दी। अब राज्यपाल को हमें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना चाहिए।
– अशोक चह्वाण, कांग्रेस नेता
मतभेद सिर्फ यह था कि फ्लोर टेस्ट किस दिन हो
राज्य के दोनों ही राजनीतिक गुट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष इस बात पर सहमत दिखे कि बहुमत साबित करने का एकमात्र जरिया फ्लोर टेस्ट है लेकिन उनके बीच मतभेद सिर्फ यह था कि फ्लोर टेस्ट किस दिन होना चाहिए।
सुनवाई शुरू होते ही राज्यपाल के सचिव की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ को भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता द्वारा 22 नवंबर को राज्यपाल को दिए पत्र पेश किए। फडवणीस के पत्र में दावा किया गया था कि उनके पास भाजपा के 105 विधायकों के अलावा एनसीपी के 54 विधायक व कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन है।
तत्कालीन एनसीपी के विधानमंडल का नेता होने के नाते अजित पवार ने अपने 54 विधायकों के समर्थन वाला पत्र राज्यपाल को दिया था। अजित पवार के पत्र में कहा गया कि हमने भाजपा को समर्थन करने का निर्णय लिया है। मेहता ने कहा कि इन पत्रों के आधार पर ही राज्यपाल ने फडणवीस को सरकार बनाने का न्योता दिया। उन्होंने कहा कि एक राज्यपाल के लिए इस बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है। मेहता ने कहा कि राज्यपाल ने जो किया वह संविधान केदायरे में है।
वहीं शिवसेना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील और एनसीपी व कांग्रेस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराने की गुहार की। उन्होंने कहा कि अजित पवार को छोड़ सभी विधायक उनके साथ है और उनके पास बहुमत से कहीं ज्यादा आंकड़ा है। उनका कहना था कि अजित पवार को विधायक दल के नेता से हटा दिया गया है।
यह लोकतंत्र के साथ धोखा है: एनसीपी-कांग्रेस
सिंघवी ने कहा, यह लोकतंत्र के साथ धोखा है। राज्यपाल ने यह देखे बगैर कि एनसीपी के विधायकों द्वारा पत्र में मुखर तौर पर समर्थन न होने के बावजूद फडणवीस को सरकार बनाने का न्योता दे दिया। उन्होंने कहा कि अजित पवार द्वारा दिए गए पत्र के साथ कवरिंग लेटर भी नहीं था। राज्यपाल उस पत्र पर चले गए कि जिसमें एनसीपी विधायकों ने अजित पवार को अपना नेता माना था। यह अपराध का सबसे खराब रूप है।
सुप्रीम कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए: फडणवीस
फडणवीस की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें पहले ही बहुमत साबित करने के लिए समय दे रखा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए। रोहतगी ने दावा किया उनके पास 170 विधायकों का समर्थन है।
रोहतगी ने कहा कि इस मामले में अंतरिम आदेश पारित नहीं किया जा सकता। सवाल यह है कि क्या विधानसभा अध्यक्ष को आदेश पारित किया जा सकता है। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ऐसे हर मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। बहुमत का निर्णय राज्यपाल केसमक्ष नहीं बल्कि विधानसभा के पटल पर होता है।
जवाब में रोहतगी ने कहा, बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट अनिवार्य है। राज्यपाल ने फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए पहले ही वक्त निर्धारित कर रखा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को फ्लोर टेस्ट के लिए समय तय करने का क्या आधार बनता है। इसमें किसी तरह का दखल का कारण नहीं बनता।
मैं ही एनसीपी हूं: अजित पवार
एनसीपी नेता अजित पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उनके द्वारा भाजपा को दिया गया समर्थन कानूनी और संवैधानिक रूप से सही है। सिंह ने कहा, मैं एनसीपी हूं। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के अयोग्य विधायकों के मामले में कहा था कि सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाना चाहिए।