आज पैतृक गांव हाटपिपल्या में पंचतत्व में विलीन होंगे जोशी

0
80

भोपाल । मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी आज पैतृक गांव हाटपिपल्या में पंचतत्व में विलीन होंगे। रविवार को शाम पांच बजे उनका पार्थिव शरीर भोपाल स्थित उनके सरकारी आवास बी-30, 74 बंगला में रखा गया। आज सुबह 9.30 बजे जोशी का पार्थिव शरीर प्रदेश भाजपा कार्यालय दीनदयाल परिसर में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। सुबह साढ़े दस बजे उन्हें बैरागढ़, सीहोर और आष्टा होते हुए हाटपीपल्या ले जाया जाएगा। वहां पर दिन में तीन बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री महेंद्र पांडे और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह सुबह भोपाल पहुंचे। पांडे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की ओर से प्रदेश भाजपा कार्यालय में स्वर्गीय कैलाश जोशी को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे। बता दें कि भोपाल के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने रविवार को सुबह 11.25 बजे अंतिम सांस ली। वे 91 वर्ष के थे। जोशी के निधन के बाद मध्यप्रदेश सहित देश में शोक की लहर है। प्रदेश सरकार ने तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। जोशी का अंतिम संस्कार सोमवार को उनके गृह नगर हाटपीपल्या में होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अनेक नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सीएम कमलनाथ और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान जोशी के निवास पर पहुंचे और श्रद्धसुमन अर्पित किए। स्व. जोशी को प्रदेश की राजनीति में संत कहा जाता था। उन्हें शुचिता, समर्पण और साफ-सुथरी राजनीति का पर्याय माना जाता था। वे जीवन पर्यंत अनुशासन प्रिय रहे। वे लगातार आठ बार विधायक रहे। जोशी 24 जून 1977 से 17 जनवरी 1978 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वे मध्यप्रदेश के नौवें और गैर कांग्रेसी सरकार के पहले मुख्यमंत्री थे। उन्होंने मध्यप्रदेश में जनसंघ और भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
ऐसा रहा राजनीतिक सफर
स्वर्गीय जोशी आठ बार विधायक के साथ लोस और रास के सदस्य रहे: स्व. जोशी मध्यप्रदेश के देवास जिले की बागली विधानसभा सीट से लगातार आठ बार विधायक रहे। वे 1962 से 1993 तक विधानसभा के सदस्य थे। जोशी 1967 से 1971 तक विधायक दल के उपनेता और 1972 से 1977 तक नेता प्रतिपक्ष रहे। वर्ष 1977 में वे प्रदेश में जनता पार्टी सरकार के पहले मुख्यमंत्री बने। वर्ष 1993 में मामूली अंतर से विधानसभा का चुनाव हारने के बाद उन्होंने बागली सीट छोड़ दी। वर्ष 2001 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया। उसके बाद वे वर्ष 2004 से 2014 तक लगातार दो बार भोपाल से लोकसभा के लिए चुने गए।