महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, सिंघवी ने कहा-रातों रात फैसला कैसे ले सकते हैं

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उच्चतम न्यायालय में तीन जजों की बेंच जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना ने शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की राज्यपाल के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करनी शुरू कर दी है। शिवसेना की तरफ से अदालत में पेश हुए कपिल सिब्बल ने कहा, 'राज्य में बहुमत 145 सीटों का है। चुनाव पूर्व गठबंधन पहले आता है। चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया। अब हम चुनाव के बाद के गठबंधन पर भरोसा कर रहे हैं।'
– सिब्बल ने कहा, 'आधी रात को राष्ट्रपति शासन हटाया गया। बिना कैबिनेट बैठक के राष्ट्रपति शासन को हटाया गया। भाजपा के पास समर्थन है तो साबित करें। विधायकों को बुलाने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई। कल सुबह 5.17 बजे राष्ट्रपति शासन को निरस्त कर दिया गया और 8 बजे दो व्यक्तियों ने मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। क्या दस्तावेज दिए गए?' 
-सिब्बल ने अदालत में कहा, 'जब किसी ने शाम के सात बजे घोषणा की थी कि हम सरकार बना रहे हैं, तो राज्यपाल का कृत्य पक्षपातपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण, इस न्यायालय द्वारा स्थापित सभी कानूनों के विपरीत है। अदालत को आज बहुमत परीक्षण कराना चाहिए। यदि भाजपा के पास बहुमत है तो उन्हें इसे विधानसभा में साबित करना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं कर सकते तो हमें दावा पेश करने दीजिए।'
– सिब्बल ने कहा कि गवर्नर कैसे आश्वस्त हुए कि फडणवीस के पास बहुमत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर गवर्नर को लगता है कि किसी के पास बहुमत है तो वह उसे बुला सकते हैं।
-राज्यपाल ने फडणवीस सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक का वक्त दिया है। शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के महा विकास अघाड़ी ने अपनी याचिका में राज्य में 24 घंटे के भीतर बहुमत परीक्षण का आदेश देने की मांग की है।
– महाराष्ट्र के लोगों को सरकार की जरुरत चाहिए। जब हम कह रहे हैं कि हमारे पास बहुमत है तो हम इसे साबित कपने के लिए तैयार हैं। हम कल बहुमत साबित करने के लिए तैयार हैं।
– मुकुल रोहतगी- मैं भाजपा के कुछ विधायकों की तरफ से पेश हुआ हूं। यह राज्यपाल का विशेषाधिकार है। इसकी सुनवाई पहले हाईकोर्ट में होनी चाहिए। रविवार को सुनवाई की जरुरत नहीं थी
– मुकुल रोहतगी- किसी भी राजनैतिक पार्टी को अपील करने का अधिकार नहीं है। यहां सभी अपीलकर्ता पार्टियां हैं। पहले किसी भी केस में ऐसा नहीं हुआ है।
– कपिल सिब्बल- भाजपा के पास बहुमत है तो उसे साबित करें, बहुमत का गुमान है तो जल्द साबित करें
– जस्टिस संजीव खन्ना- बहुमत की चिठ्ठी राज्यपाल को कब सौंपी गई।
– सिब्नेबल ने कहा कि  हमें नहीं पता, कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं है। कर्नाटक के केस को देखिए। 16 मई 2018 को कर्नाटक के राज्यपाल और सीएम येदियुरप्पा को हमने 17 मई को चैलेंज किया 18 को सुनवाई हुई और 19 मई तक का समय दिया गया बहुमत के लिए।

बता दें कि याचिका में इन तीनों दलों ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा देवेंद्र फडणवीस को शपथ दिलाने के निर्णय को रद्द करने की मांग की है। साथ ही याचिका में जल्द से जल्द विधानसभा में बहुमत हासिल करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में राज्यपाल के फैसले को मनमाना और असंवैधानिक बताया गया है। साथ ही इसमें कहा गया हे कि उनके गठबंधन के पास 154 विधायकों का समर्थन है।