कीमोथेरेपी भी बन सकती है खतरा  

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कैंसर से निपटने का सबसे कारगर तरीका कीमोथेरेपी ही उसके और आक्रामक रूप अपनाने का कारण भी बन सकता है। हाल में हुए शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि कैंसरकारक ट्यूमर को खत्म करने के लिए किए जा रहे उपचार के प्रभाव से कैंसर के शरीर अन्य अंगों में फैलने का खतरा बढ़ जाता है। एक शोध में विशेषज्ञों ने देखा कि कीमोथेरेपी कैंसर का अल्प अविध उपचार है। यह कैंसर की आक्रामक रूप से वापसी का कारण भी बन सकता है। कीमोथेरेपी को स्तन कैंसर के मरीजों के इलाज का प्राय: पहले विकल्प के तौर पर देखा जाता है। यह बीमारी पर हमला कर उसे जड़ से खत्म भी कर सकता है हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि यह लंबी अवधि की राहत नहीं हो सकता है। 
शोधकर्ताओं का कहना है कि कीमोथेरेपी से ट्यूमर को खत्म करने की कोशिश के साथ-साथ यह नए ट्यूमर के विकसित होने की राह खोलता है। इसके कारण कैंसर गंभीर रूप अख्तियार कर सकता है और इसका इलाज करना पहले से अधिक मुश्किल हो सकता है। प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर जॉर्ज कारागिएनिस ने कहा कि ऑपरेशन के पहले की जाने वाली कीमोथेरेपी के बाद ट्यूमर के ऊतकों की पड़ताल की जा सकती है। इससे यह देखा जा सकता है कि अगर ट्यूमर के मार्कर बढ़ रहे हैं तो कीमोथेरेपी को रोककर, पहले ऑपरेशन किया जा सकता है। 
गोलियों या इंट्रा वेनस ड्रिप के जरिये दी गई कीमोथेरेपी की दवा रक्तप्रवाह के साथ पूरे शरीर में प्रवाहित हो सकती है। इस तरह दवा के ट्यूमर से निकलकर दूसरे अंगों पर हमले की फिराक में बैठी कैंसर कोशिकाओं तक पहुंचने की अधिक संभावना है। स्तन कैंसर के ज्यादातर मामलों में यही देखने को मिलता है। 
इस पहले एक कैंसर रिसर्च सेंटर में 2012 में हुए शोध में विशेषज्ञों ने दावा किया था कि कीमोथेरेपी ने स्वस्थ कोशिकाओं को ट्यूमर के विकास में मदद करने के लिए सक्रिय किया। मानव जीव विज्ञान के प्रोफेसर और शोध के वरिष्ठ लेखक पीटर नेलसन ने कहा कि सैद्धांतिक रूप से कीमोथेरेपी कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने का सटीक तरीका है।
हालांकि उन्होंने कहा कि ट्यूमर को खत्म करने के लिए जरूरी मात्रा मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकती है। लिहाजा डॉक्टरों को इसकी खुराक हल्की करनी होती है जिसके कारण कैंसर को आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा ट्यूमर कोशिकाओं के जीवित बचने की आशंका बढ़ जाती है। दूसरी श्रेणी का कैंसरदूसरी श्रेणी के कैंसर को मेटास्टेटिक कैंसर कहते हैं। यह कैंसर का चौथा और अंतिम चरण होता है, जो आक्रामक तो होता ही है इसका इलाज करना भी संभव नहीं होता है।