नई दिल्ली चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है। सोमवार को भारत के नए चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस एसए बोबडे शपथ लेंगे। चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस गोगोई के कार्यकाल में तमाम फैसले हुए। वह चार जजों द्वारा की गई अप्रत्याशित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी गए। जानकार बताते हैं कि बतौर चीफ जस्टिस अयोध्या मामले में दिया गया उनका फैसला उनके कार्यकाल को यादगार बनाएगा। जस्टिस रंजन गोगोई का विदाई समारोह भी सादगी भरा रहा था।
गोगोई ने जजों को दिया संदेश, 'मौन रहने में ही जजों की स्वतंत्रता'
जस्टिस गोगोई के सामने सबसे बड़ी चुनौती अयोध्या मामले की सुनवाई की थी। जब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने शपथ ली तो उन्होंने अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए संवैधानिक बेंच का गठन किया। खुद उस बेंच की अगुवाई की। मध्यस्थता का प्रस्ताव भी स्वीकारा। समझौते के लिए दोनों पक्षों को बात करने को कहा। आखिर में लगातार 40 दिन मैराथन सुनवाई की और एक ऐतिहासिक फैसला दिया।
जस्टिस रंजन गोगोई और सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य जजों (अब तीनों रिटायर) ने 12 जनवरी 2018 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था जब चार जज मीडिया के सामने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हों। इन्होंने रोस्टर सिस्टम और केसों के आवंटन के तरीके पर सवाल उठाया था। इसके बाद रोस्टर सिस्टम को सार्वजनिक कर दिया गया था। जस्टिस गोगोई समेत अन्य जजों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में चीजें ठीक नहीं चल रही हैं।
महिला के आरोप गलत पाए गए
जस्टिस गोगोई पर सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला स्टाफ के कथित प्रताड़ना के आरोपों ने सबको हिलाकर रख दिया था। 20 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट में एक असाधारण सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की ओर से आरोपों को निराधार और दुर्भावनापूर्ण बताया गया। चीफ जस्टिस ने कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को गंभीर खतरा है। जांच पैनल ने कहा था कि मामले में कोई वास्तविक तत्व नहीं है और मामला खत्म हो गया।