महाराष्ट्र के सियासी हालात पर भाजपा अध्यक्ष व गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के मुद्दे पर अमित शाह ने शिवसेना के रवैये पर भी सवाल उठाए।
शाह ने कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए 18 दिन का समय नहीं दिया गया था। राज्यपाल ने विधानसभा का समय खत्म होने के बाद ही राजनीतिक दलों को बुलाया। न शिवसेना, न कांग्रेस और न ही एसीपी ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। अगर आज की तारीख में किसी के पास नंबर हैं तो वह राज्यपाल के पास जा सकता है।
शिवसेना से गठबंधन के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री और मैंने कई बार रैलियों में कहा था कि अगर हमारा गठबंधन जीतता है तो देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री होंगे। तब किसी ने इसका विरोध नहीं किया था। अब वो नई मांग कर रहे हैं जो किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है।
राष्ट्रपति शासन से भाजपा को नुकसान
शिवसेना पर हमला करते हुए शाह ने कहा कि राष्ट्रपति शासन से भाजपा का नुकसान हुआ। भाजपा नहीं चाहती कि मध्यावधि चुनाव हों। हम तो शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार थे, जनता के साथ विश्वासघात हमने नहीं किया।
विपक्ष कर रहा राजनीति
अमित शाह ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष राजनीति कर रहा है। मैं नहीं मानता कि एक संवैधानिक पद को इस तरह से राजनीति में घसीटना लोकतंत्र के लिए स्वस्थ परंपरा है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कमी समय की नहीं बल्कि संख्या की है।
अमित शाह ने कहा कि आज भी अगर किसी के पास संख्या है तो वो राज्यपाल से संपर्क कर सकते हैं। राज्यपाल ने किसी को भी मौका देने से इनकार नहीं किया है। कपिल सिब्बल जैसे वकील हमें सरकार बनाने का मौका देने से वंचित जैसे बचकाना तर्क दे रहे हैं।
महाराष्ट्र में पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के बाद से सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच मंगलवार शाम राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद राज्य विधानसभा निलंबित अवस्था में रहेगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी।