भोपाल. पवई सीट से bjp विधायक प्रह्लाद लोधी (BJP MLA Prahlad Lodhi) की विधानसभा सदस्यता ख़त्म किए जाने के मामले में पार्टी का प्रतिनिधि मंडल आज भोपाल में राज्यपाल (governor) लालजी टंडन (Lalji tandon) से मुलाक़ात कर रहा है. पार्टी ने इस मुलाक़ात से पहले मंगलवार को विधि विशेषज्ञों की राय ली. प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह (rakesh singh), पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chauhan), नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पूर्व,मंत्री नरोत्तम मिश्रा और खुद प्रह्लाद लोधी सहित अन्य नेता शामिल रहेंगे.
प्रह्लाद लोधी की विधानसभा सदस्यता ख़त्म करने के विरोध में पार्टी लामबंद है. लोधी की विधायकी खत्म करने के मामले में बीजेपी के नेताओं का दल पूरी तैयारी के साथ राज्यपाल लालजी टंडन (Governor Lalji Tandon) से मुलाकात कर रहा है. राज्यपाल से होने वाली बैठक से पहले अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए बीजेपी नेताओं ने विधि विशेषज्ञों की राय ली और कई बार संविधान के पन्नों को पलटते हुए रास्ते तलाशने की कोशिश की.
बीजेपी की राय
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है संविधान की धारा 100, 101 और 102 में उल्लेख है कि विधायक की विधायकी ख़त्म करने का अधिकार राज्यपाल को है. विधानसभा सचिवालय इस पर सीधे तौर पर फैसला नहीं कर सकता है.
कांग्रेस के इशारे पर कार्रवाई
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव का कहना है, विधानसभा सचिवालय का फैसला सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के इशारे पर उठाया गया कदम है. जब निचली अदालत ने प्रह्लाद लोधी को दो साल की सजा सुनाई तो विधानसभा ने एक दिन में फैसला लेते हुए लोधी की विधायकी खत्म करने का फैसला ले लिया. जबकि लोधी की सज़ा पर हाईकोर्ट की रोक के एक सप्ताह बीतने के बाद अब सचिवालय कोर्ट के फैसले का परीक्षण करने की बात कर रहा है, जो कि न्याय संगत नहीं है. बीजेपी ने कहा कोर्ट की अवमानना के मामले में विधानसभा सचिवालय आ रहा है. जबकि विपक्ष अपनी भूमिका निभाते हुए राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें प्रह्लाद लोधी पर की गई कार्रवाई रद्द करने की मांग करेगा.
ये था मामला
2014 में तहसीलदार से मारपीट के एक मामले में पवई विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक प्रह्लाद लोधी को भोपाल के स्पेशल कोर्ट ने दो साल की सज़ा सुनायी थी. कोर्ट के इस फैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने लोधी की विधानसभा सदस्यता ख़त्म करने का फैसला सुनाया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को आधार बनाया जिसमें किसी जनप्रतिनिधि को अदालत की दो साल की सज़ा सुनाने पर उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है. इस बीच भोपाल स्पेशल कोर्ट के सज़ा के फैसले को ख़िलाफ प्रह्लाद लोधी ने जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने उनकी सज़ा पर रोक लगा दी. अब बीजेपी प्रह्लाद लोधी की सदस्यता ख़त्म करने के फैसले के खिलाफ लगातार विरोध दर्ज करा रही है.