भोपाल. मध्य प्रदेश (madhya pradesh) के कॉलेजों में अब स्कॉलरशिप (Scholarship) के नाम पर हो रही जालसाज़ी (Fraud) के खिलाफ कमलनाथ सरकार सख़्त हो गयी है. सभी कॉलेजों (Colleges) को स्कॉलरशिप का लेखा-जोखा देना होगा. उसने पिछले 10 साल का रिकॉर्ड भी मांगा है.
मध्य प्रदेश में स्कॉलरशिप जालसाज़ी पर अब उच्च शिक्षा विभाग रोक लगाने की तैयारी में है. उसने ये भ्रष्टाचार रोकने के लिए सभी कॉलेजों से पिछले 10 साल का रिकॉर्ड मांगा है. जो कॉलेज रिकॉर्ड नहीं भेजेंगे उनके ख़िलाफ कार्रवाई की जाएगी. कॉलेजों से पूरा लेखा-जोखा देने के लिए कहा गया है.
स्कॉलरशिप का रिकॉर्ड
मध्य प्रदेश के 1257 सरकारी और निजी कॉलेजों में छात्रों को करोड़ों की स्कॉलरशिप दी जाती है.आदिम जाति कल्याण विभाग में बीते दिनों स्कॉलरशिप के नाम पर गड़बड़ी सामने आई थी.कॉलेज फीस निर्धारण के बिना ही स्कॉलरशिप ले रहे थे. ये शिकायत आने के बाद बाकी छात्रों की स्कॉलरशिप रोक दी गई थी.इस शिकायत के बाद उच्च शिक्षा विभाग हरक़त में आया और उसने जांच शुरू की. प्रदेश भर के कॉलेजों में छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलरशिप में गड़बड़ी की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं. अब पहली बार है जब सभी सरकारी औऱ निजी कॉलेजों से स्कॉलरशिप का लेखा-जोखा मांगा गया है.उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों से 10 सालों में छात्रों की दी गयी स्कॉ़लरशिप का पाई-पाई का हिसाब मांगा है.
कॉलेजों को अब छात्रों की संख्या के साथ लाभ लेने वाले छात्रों और अपात्र छात्रों की जानकारी भी देनी होगी.किस छात्र को कब और कितनी स्कॉलरशिप दी गई है.जानकारी नहीं देने वाले कॉलेजों पर उच्च शिक्षा विभाग कड़ी कार्रवाई की तैयारी में है.
बीमारी पकड़ेंगे नहीं तो इलाज कैसे होगा
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी का कहना है छात्रों को दी जाने वाली स्कॉलशिप, सरकार की गाढ़ी कमाई का पैसा है. अगर उसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी की गयी तो दोषी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना हमारी जि़म्मेदारी है. जब तक बीमारी पकड़ेंगे नहीं नहीं तो उसका इलाज कैसे करेंगे.भ्रष्टाचार में कोई भी व्यक्ति लिप्त हो-चाहें वो कॉलेज का मालिक,अधिकारी,कर्मचारी या कोई और हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.