लंदन । दोपहर फैबी अचानक कांपकर बेहोश होकर गिर गई। उसके मालिक थॉमस कुर्ज तथा डिर्क ब्यूको उस सीधे पशु चिकित्सक के पास ले गए। कुछ देर बा पता लगा कि फैबी की तिल्ली में एक ट्यूमर फटने से उसका काफी खून बह चुका था। तुरंत उसके ऑप्रेशन की जरूरत थी जिस दौरान उसका जीवन बचाने के लिए किसी अन्य कुत्ते का खून चाहिए था। फिर फैबी के ऑपरेशन के बाद महज 7 दिन बाद फैबी लगभग सामान्य हो गई। ब्यूको तथा कुर्ज के लिए यह एक छोटा-सा चमत्कार था। वे उस रक्तदान के लिए बहुत आभारी हैं जिससे फैबी की जान बच गई। जर्मनी में पशु चिकित्सक काफी हद तक रक्तदान के लिए स्वयंसेवकों पर निर्भर हैं, अर्थात कुत्तों के मालिक जो रक्तदान के लिए अपने पालतू जानवरों के साथ आने को तैयार हैं। उनमें से एक लैबराडोर प्रजाति का कुत्ता ‘गिनीज’ है जो नियमित रूप से अपने मालिक के साथ आकर रक्तदान कर रहा है। इस प्रक्रिया की शुरूआत पैर से थोड़ा खून लेकर, छाती पर ठंडा स्टैथोस्कोप रखकर तथा शरीर में गर्मी की जांच के साथ होती है। फिर ‘गिनीज’ तथा उसका मालिक वेटिंग रूम में प्रतीक्षा करते हैं। यदि ब्लड टैस्ट्स में कोई समस्या न हो तो प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है। कुत्ते की गर्दन से शेव द्वारा कुछ फर उतारी जाती है,फिर शीघ्रतापूर्वक नस में सूई चुभोई जाती है। इस तहर अभी तक ‘गिनीज’ 250 मि.ली. रक्तदान कर चुका होता है। इसके लिए बार्बरा ने बर्लिन में फ्री यूनिवर्सिटी में एक ब्लड बैंक की स्थापना की है, ताकि फैबी जैसे कुत्तों को जीवन रक्षक मदद मिल सके। जर्मनी में अपने कुत्तों को रक्त चढ़वाने के लिए 150 यूरो (लगभग 11,850 रुपए) चुकाने पड़ते हैं। खून की थैलियां एक फ्रिज में रखी जाती हैं।
कोई भी कुत्ता, जिसका वजन कम से कम 20 किलो है, वह 10 वर्ष की आयु तक का है और वह कभी किसी अन्य देश में नहीं गया है,वह रक्तदानी बन सकता है। बिल्लियों के लिए यह प्रक्रिया काफी पेचीदा है। बार्बरा के अनुसार बिल्लियों में से 98 प्रतिशत इस प्रक्रिया को सहन नहीं कर पातीं। बिल्लियों को दर्दनाशक इंजैक्शन दिए बिना उनका रक्त नहीं लिया जा सकता। इसके अतिरिक्त 4 किलो से अधिक वजन वाली बिल्लियां ही रक्तदान कर सकती हैं। घरेलू बिल्लियों में बीमारियों का खतरा कम होता है। वे 6 महीने में एक केवल एक बार रक्तदान कर सकती हैं और उनके खून को 20 दिनों तक संग्रहित किया जा सकता है।