सहकारिता मंत्री डॉ गोविन्द सिंह ने कहा है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के जो अधिकारी- कर्मचारी बैंकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें नौकरी से बाहर करें तथा जो अच्छा कार्य कर रहे हैं, उन्हें पदोन्नत करें। साथ ही खाली पड़े पदों पर आयुक्त सहकारिता से आवश्यक स्वीकृति प्राप्त कर नियमानुसार शीघ्र ही भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाए। वित्तीय गड़बड़ी करने वालों से राशि की वसूली जाए, उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाए। डॉ गोविन्द सिंह आज अपैक्स बैंक के सभागार में भोपाल एवं हौशंगाबाद संभागों के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता आंदोलन में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अत: आवश्यक है कि इनकी वित्तीय स्थिति को सुधारा जाए। गत वर्षों में इनकी वित्तीय स्थिति काफी बिगड़ी है। सहकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी निरंतर संभागीय बैठकें आयोजित कर इनके कार्य की समीक्षा करें। आयुक्त सहकारिता श्री एम के अग्रवाल ने बताया कि सागर एवं जबलपुर संभाग को छोड़कर सभी बैठकें की जा चुकी हैं तथा भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहेगा।
प्रमुख सचिव सहकारिता श्री अजीत केसरी ने बताया कि सहकारी बैंक मुख्य रूप से किसानों को अल्प अवधि कृषि ऋण देने का कार्य करते हैं। उन्होंने दिए गए ऋणों की समय से वसूली किए जाने की आवश्यकता बताई। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों की जिलेवार समीक्षा में पाया गया कि सभी बैंकों द्वारा दिए गए कालातीत ऋणों (NPA) की राशि अत्यधिक है। बैंकों के स्तर पर ऋणों की वसूली के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। मंत्री श्री सिंह ने निर्देश दिए कि आगामी एक वर्ष में अघिक से अधिक कालातीत ऋणों की वसूली सुनिश्चित की जाए।
सहकारी बैंकों की जिलेवार समीक्षा में पाया गया कि भोपाल में संस्थागत जमा तो हैं, परन्तु व्यक्तिगत जमा नहीं के बराबर हैं। इसके लिए प्रयास किया जाए। साथ ही कालातीत ऋणों की वसूली की जाए। बैतूल जिले में कालातीत ऋण की राशि रूपये 143 करोड़ है। आगामी 30 जून तक 100 करोड़ रूपये की वसूली कर ली जाए। रायसेन जिले में कालातीत ऋण राशि 148 करोड़ है, वहां के अधिकारी ने बताया कि आगामी जून तक 45 करोड़ की वसूली कर ली जाएगी।
राजगढ़ जिले की समीक्षा में पाया गया कि ऋण असंतुलन तथा वित्तीय अनियमितता के प्रकरणों के चलते सहकारी बैंक की हालत खराब है। वहां 183 करोड़ रूपये का कालातीत ऋण है। वित्तीय अनियमितताओं के प्रकरणों वसूली तथा एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश मंत्री डॉ गोविन्द सिंह द्वारा दिए गए। आगामी जून तक कम से कम 75 करोड़ ऋण राशि की वसूली कर ली जाए। विदिशा जिले में 45 करोड़ कालातीत ऋण शेष है, आगामी जून तक वसूली की जाए।
समीक्षा में होशंगाबाद जिले की स्थिति भी काफी खराब पाई गई, वहां 292 करोड़ का कालातीत ऋण शेष है, जिसमें अधिकांश गैर कृषि ऋण है। कई कर्मचारियों के खिलाफ मामले भी चल रहे हैं। कई प्रकरणों में संबंधित सहायक/उप पंजीयक द्वारा स्टे भी दे दिया गया है। इसे मंत्री श्री सिंह द्वारा गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिए गए कि ऐसे सहायक/उप पंजीयकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उनकी वेतन वृद्धियां रोकी जाएं। सीहोर जिले की समीक्षा में पाया गया कि वहां जिला सहकारी बैंक का वर्ष 2016-17 में कालातीत ऋण 38 करोड़ था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 280 करोड़ रूपये हो गया। ऋण वसूली को लेकर बैंक द्वारा कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। इस पर सहकारिता मंत्री द्वारा नाराजी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि स्थिति नहीं सुधारी गई तो बोर्ड भंग करने की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि ऋण वसूली की मासिक योजना बनाकर सघन कार्रवाई की जाए। जो लोग कार्य करना नहीं चाहते वे बैंकों से बाहर जाने की तैयारी कर लें।
बैठक में अपैक्स बैंक के प्रशासक श्री अशोक सिंह, प्रमुख सचिव सहकारिता श्री अजीत केसरी, सहकारिता आयुक्त श्री एम के अग्रवाल, एमडी अपैक्स बैंक श्री प्रदीप नीखरा, अपर आयुक्त सहकारिता श्री आर सी घिया सहित दोनों संभागों के जिला सहकारी बैंकों के प्रशासक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला विपणन अधिकारी तथा सभी संबंधित उपस्थित थे।