नेहरू मेमोरियल भी हुआ कांग्रेसमुक्त: अमित शाह बने सदस्य, खड़गे समेत ये कांग्रेसी बाहर

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सांस्कृतिक मंत्रालय की तरफ से नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी (एनएमएमएल) सोसाइटी का पुनर्गठन किया गया है। नेहरू म्यूजियम में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कर्ण सिंह और जयराम रमेश को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। कांग्रेस नेताओं की जगह भाजपा नेता अनिर्बन गांगुली, गीतकार प्रसून जोशी और पत्रकार रजत शर्मा को जगह मिली है। इस सोसाइटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की याद में बनाया गया था। मंगलवार को जारी किए गए आदेश के अनुसार, पीएम मोदी इस सोसाइटी के अध्यक्ष हैं और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसके उपाध्यक्ष हैं। पांच नवंबर को संस्कृति मंत्रालय से जारी हुए अधिसूचना के बाद इस मसले पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच जमकर सियासत हो सकती है। 

नेहरू मेमोरियल से बाहर किए जाने के बाद कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि वर्तमान सरकार हर चीज को राजनीतिक रूप से ले रही है। सरकार ने यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि वे अपने लोगों को पैनल में शामिल करना चाहते हैं।

किसके पास हैं कौन सी जिम्मेदारी?
आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने एनएमएमएल समाज के एसोसिएशन और नियमों और विनियमों के ज्ञापन के नियम तीन के तहत नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) सोसायटी का पुनर्गठन किया है। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपाध्यक्ष होंगे। 
    
वहीं, केंद्रीय मंत्री अमित शाह, निर्मला सीतारमण, रमेश पोखरियाल, प्रकाश जावड़ेकर, वी मुरलीधरन और प्रह्लाद सिंह पटेल, साथ ही आईसीसीआर के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश इसके सदस्य हैं। 

इसके अलावा, यूजीसी के अध्यक्ष, जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड के प्रतिनिधि, एनएमएमएल के निदेशक राघवेंद्र सिंह और टीवी पत्रकार रजत शर्मा इसके नए सदस्य हैं। आदेश में आगे कहा गया है कि सदस्यों का कार्यकाल पांच साल की अवधि के लिए है। 

भाजपा-कांग्रेस के बीच सियासत गर्मा सकती है

पिछले कुछ सालों में भाजपा लगातार अलग-अलग मुद्दों को लेकर नेहरू और उनकी विरासत पर न सिर्फ सवाल उठाती रही है बल्कि हमलावर भी रही है। वहीं, नेहरू मेमोरियल से कांग्रेस नेताओं के बाहर होने से सियासत गरमाने के आसार हैं। फिलहाल राजनीति और भारत से भले ही कांग्रेस को भाजपा मुक्त ना कर पाई हो लेकिन कांग्रेस के सबसे बडे़ नेताओं में से एक पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विरासत से भाजपा ने कांग्रेस को मुक्त कर ही दिया है। 

इससे पहले, केंद्र ने टेलीविजन पत्रकार अर्नब गोस्वामी, पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर, भाजपा विधायक विनय सहस्रबुद्धे और आईजीएनसीए के अध्यक्ष राम बहादुर राय को एनएमएमएल सोसाइटी के सदस्यों के रूप में नियुक्त किया था, जिन्हें उन लोगों के स्थान पर नियुक्त किया गया था जिन्होंने सभी प्रधानमंत्रियों के लिए एक संग्रहालय बनाने के कदम का विरोध किया था।

अभी पिछले महीने ही पूर्व संस्कृति सचिव राघवेंद्र सिंह को शक्ति सिन्हा की जगह अगले छह महीने के लिए एनएमएमएल का निदेशक नियुक्त किया गया था, शक्ति सिन्हा का कार्यकाल चार अक्तूबर को समाप्त हो रहा था। इन नियुक्तियों का महत्व इसलिए भी है क्योंकि सरकार संग्रहालय के एक बड़े सुधार की योजना बना रही है।