पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों की सभी ’जायज’ मांगें मान ली, फिर भी सरकार और विपक्षी नेताओं के बीच दूसरे दौर की बातचीत विफल रही।
इस्लामाबाद में तेजतर्रार मौलवी तथा राजनीतिक नेता फजलुर्रहमान के नेतृत्व में ‘आजादी मार्च‘ के नाम से सरकार विरोधी प्रदर्शन चल रहा है, जिसे पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) समेत विपक्षी दलों का भी समर्थन हासिल है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि 2018 के आम चुनाव में ’धांधली’ हुई, लिहाजा प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्तीफा देना चाहिए।
खान ने कथित रूप से यह बात रक्षा मंत्री परवेज खट्टक के नेतृत्व वाली टीम की बैठक में कही, जिसे प्रदर्शनकारियों से वार्ता की जिम्मेदारी दी गई है। ‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून‘ ने खान के हवाले से कहा, सरकार इस्तीफे को छोड़कर सभी जायज मांगें मानने को तैयार है। रक्षा मंत्री खट्टक ने कहा कि सरकार मौजूदा गतिरोध को तोड़ने के लिये विपक्षी नेताओं के साथ बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, दोनों पक्षों के बीच अच्छे माहौल में बातचीत हुई। खट्टक ने विपक्ष की रहबर समिति के साथ दूसरे दौर की प्रत्यक्ष वार्ता के बाद कहा, हालांकि दोनों पक्ष अपने-अपने रुख पर अड़े हैं। बीती रात पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिये मौलाना फजलुर्रहमान के घर दूसरा प्रतिनिधिमंडल भेजा था। रक्षामंत्री परवेज खट्टक के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार रात जेयूआई-एफ नेता अकरम खान दुर्रानी के नेतृत्व वाली रहबर समिति के साथ मुलाकात कर उनकी मांगों पर चर्चा की। इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी शुजात हुसैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने फजलुर्रहमान से मुलाकात की।