नई दिल्ली: भारत ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) में शामिल नहीं होगा क्योंकि उसकी मुख्य चिंताओं को दूर नहीं किया गया है. RCEP समिट में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कहा कि RCEP के तहत मूलभूत हितों पर भारत कोई समझौता नहीं करेगा. पीएम मोदी ने कहा, 'मैंने सभी भारतीयों के हितों के संबंध में आरसीईपी समझौते को मापा, लेकिन मुझे कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. न तो गांधीजी के सिद्धांतों ने और न ही मेरी अंतरात्मा ने मुझे आरसीईपी में शामिल होने की अनुमति दी.'
पीएम मोदी ने कहा, "RCEP समझौते का वर्तमान स्वरूप पूरी तरह से अपनी मूल मंशा को नहीं दर्शा रहा. यह संतोषजनक तरीके से भारत के लंबित मुद्दों और चिंताओं का समाधान नहीं करता, इसलिए ऐसी स्थिति में भारत का RCEP में शामिल होना संभव नहीं है."
विदेश मंत्रालय में सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा, "भारत ने कहा कि यह समझौता देश के लाखों लोगों के जीवन और आजीविका के लिए प्रतिकूल है." ठाकुर ने कहा, "भारत ने शिखर बैठक में इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने के निर्णय की जानकारी दे दी है. यह निर्णय मौजूदा वैश्विक परिस्थिति और समझौते की निष्पक्षता और संतुलन दोनों के आकलन के बाद लिया गया है. इस बैठक में भारत द्वारा उठाए गए मुख्य मुद्दों का कोई समाधान नहीं निकल सका है. समझौते के प्रावधान देश के नागरिकों के हितों के प्रतिकूल हैं. वर्तमान परिस्थितियों में भारत आरसीईपी में शामिल नहीं हो रहा है."
गौरतलब है कि RCEP के तहत मुक्त व्यापार समझौता एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) के 10 सदस्य देशों के अलावा छह अन्य देशों चीन, जापान दक्षिण कोरिया, भारत, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच प्रस्तावित है. भारत की बड़ी चिंता चीन से होने वाला सस्ता आयात है, जिससे घरेलू कारोबार पर असर पड़ सकता है. साथ ही, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से सस्ते दुग्ध उत्पादों का आयात होने से घरेलू डेरी उद्योग प्रभावित हो सकता है. इसी चिंता को लेकर देश के किसान संगठनों ने सरकार से RCEP के तहत व्यापार करार में डेयरी उत्पादों को शामिल नहीं करने की मांग की थी.