राज्य सरकार प्रदेश में अति वृष्टि एवं बाढ़ से हुए अत्यधिक नुकसान की भरपाई के लिये लगातार केन्द्र सरकार से सहायता प्रदान करने का आग्रह कर रही है, लेकिन अभी तक कोई सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई है। दूसरी ओर केन्द्र सरकार ने कर्नाटक और बिहार राज्य को इसी प्रयोजन के लिये सहायता राशि प्रदान की है। यह स्थिति तब है जब केन्द्रीय अध्ययन दल द्वारा मध्यप्रदेश के प्रभावित जिलों में हुए नुकसान का दो बार आंकलन किया जा चुका है और केन्द्र सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की जा चुकी है।
मध्यप्रदेश सरकार ने अति वृष्टि और बाढ़ प्रभावितों के प्रति मानवीय संवेदनाओं का परिचय देते हुए केन्द्र सरकार की सहायता का इंतजार किये बिना अपने सीमित संसाधनों से त्वरित कार्यवाही की और अभी तक प्रभावित परिवारों की हर संभव मदद कर रही है। राज्य सरकार ने अब तक प्रभावित परिवारों को लगभग 200 करोड़ की सहायता राशि का वितरण किया है। इसमें फसलों की राहत राशि शामिल नहीं है। अति-वृष्टि से सबसे अधिक प्रभावित मंदसौर, आगर और नीमच जिलों में फसल क्षति के लिये भी राज्य सरकार ने राशि का वितरण प्रारंभ कर दिया है। इन जिलों में अभी तक फसल राहत मद में 270 करोड़ रुपये की सहायता वितरित की जा चुकी है। सरकार ने सभी जिलों में सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया है और राहत के प्रकरण तैयार किये जा रहे हैं। राज्य सरकार अपने स्तर पर प्रभावित लोगों की मदद करने में कोई कसर बाकी नहीं रखने के लिये प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अक्टूबर माह के प्रारंभ में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें प्रदेश में अति-वृष्टि से हुए नुकसान की पूरी जानकारी दी थी। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से इसे गंभीर आपदा की श्रेणी में रखने की माँग भी की थी। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह से भी मुलाकात कर उन्हें शीघ्र राहत राशि जारी करने का ज्ञापन सौंपा था। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव ने भी इस संबंध में केन्द्र में गृह सचिव से मुलाकात कर राहत राशि जारी करने का अनुरोध किया है। केन्द्र का अध्ययन दल दो बार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर चुका है। केन्द्र सरकार की आईएमसीटी प्रदेश के 21 जिलों में दौरा कर अति-वृष्टि से हुई तबाही को देख चुकी है। इसके बाद भी अभी तक भारत सरकार द्वारा एनडीआरएफ के तहत मध्यप्रदेश को कोई भी सहायता राशि प्रदाय नहीं की गई है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अति-वृष्टि से लगभग 55 लाख किसानों की 60 लाख हेक्टेयर फसल खराब हो गई है। साथ ही प्रदेश की 11 हजार किलोमीटर सड़कें भी खराब हुई हैं। लगभग सवा लाख घरों को भी नुकसान पहुँचा है। भारी बारिश के दौरान राज्य सरकार ने सभी एजेंसियों की मदद से लगभग 75 हजार लोगों की जान बचाकर उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया।
इस प्राकृतिक आपदा में लोगों को जल्दी राहत दिलाने के लिये प्रदेश सरकार ने भारत सरकार को एनडीआरएफ से 6621.28 करोड़ रुपये की सहायता के लिये एक अक्टूबर को ही अनुरोध कर दिया था, जबकि वर्ष 2013, 2015 और 2017 में बाढ़ तथा सूखा की स्थिति में भारत सरकार को सहायता के लिये मेमोरेण्डम नवम्बर माह में भेजे गये थे।