हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बताया कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के बाद ही नए मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायड़ू से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री से पत्रकारों से बात करते हुए जानकारी दी कि पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाएंगे, उसके बाद मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे। न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाने के लिए भी समितियां बनेंगी। इन समितियों में दोनों पार्टियों के नेता शामिल किए जाएंगे।गौरतलब है कि हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार बनी है। विधानसभा चुनाव परिणामों में भाजपा को 40 सीटें मिली थीं, जबकि सरकार बनाने के लिए 45 से ज्यादा सीटें चाहिएं थीं, तो दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने भाजपा को समर्थन दे दिया। साथ ही छह निर्दलीय विधायक भी गठबंधन में शामिल हो गए। इसके बाद मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री पद की और दुष्यंत चौटाला ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।
अब मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, इन नामों पर चर्चा
मनोहर लाल की टीम में नए मंत्री कौन होंगे, इस पर मंथन और चिंतन जारी है। चूंकि इस बार सरकार पूरी तरह से भाजपा की नहीं है। नई सरकार में भाजपा के साथ-साथ जजपा और निर्दलीय विधायक भी उनके सहयोगी है। लिहाजा मंत्रीमंडल कागठन करना सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा के लिए एक ‘इम्तिहान’ से कम नहीं है। मंत्रियों के चयन के दौरान सहयोगी नाराज न हों और मंत्रियों का चयन भी तमाम फेक्टर को ध्यान में रखकर किया जाए, इसके लिए मोर्चा अब भाजपा हाईकमान ने संभाला है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, हरियाणा के प्रभारी अनिल जैन व सीएम मनोहर लाल के बीच मंत्रीमंडल को लेकर एक बार मंत्रणा भी हो चुकी है। इस मंत्रणा के दौरान भाजपा विधायकों की ओर से संभावित मंत्रियों के साथ-साथ जजपा और निर्दलीय विधायकों की ‘चाहत’ क्या है, इस पर भी चर्चा हुई है। लेकिन अभी चूंकि अमित शाह महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मसले में व्यस्त है, इसलिए हरियाणा पर चर्चा एक बार फिर से होगी। फिलहाल मंत्री कौन बनेंगे इस पर अटकलों और कयासों का दौरान लगतार जारी है।
ऐसे में अब भाजपा हाईकमान के लिए अपनों के साथ-साथ जजपा और आजाद विधायकों में तालमेल बिठाते हुए मंत्रियों का चयन करना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है। इसके अलावा भाजपा हाईकमान को मंत्रीमंडल गठन के दौरान क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों को भी साधकर चलना होगा। भाजपा हाईकमान मंत्रीमंडल गठन से पहले बनी मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सभी पहलुओं पर मंथन कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार मंत्रीमंडल गठन की प्रक्रिया बिना किसी तकरार के संपन्न हो, इसके लिए भाजपा हाईकमान के कुछ वरिष्ठ नेता जजपा विधायक एवं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व निर्दलीय विधायकों से भी बातचीत कर सकते हैं। ताकि गठबंधन की यह नई सरकार बिना किसी परेशानी अपना कार्यकाल आराम से पूरा करे।
विज, बनवारी, कंवरपाल का मंत्री बनना लगभग तय
भाजपा अपने वरिष्ठ विधायकों अनिल विज, बनवारी लाल व कंवरपाल गुर्जर को सरकार में बड़ी जिम्मेदारी देने पर विचार कर रही है। इनका मंत्री बनना लगभग तय है। सवाल यह है कि इन वरिष्ठ विधायकों का मंत्रालय क्या दिया जाए। दरअसल, छह बार के विधायक अनिल विज पहले भी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
लिहाजा उनका कद देखते हुए उन्हें क्या बड़ी जिम्मेदारी दी जाए, इस पर मंथन चल रहा है। इसके अलावा फिर से विधायक बने डा. बनवारी लाल भी पिछली सरकार में राज्यमंत्री थे, मगर इस बार उन्हें फिर से जीत का इनाम कैबिनेट मंत्री बनाकर दिया जा सकता है। पिछली सरकार में स्पीकर रहे कंवरपाल गुर्जर फिर जीते हैं, कद उनका भी कम नहीं है। इसलिए उन्हें भी इस बार कैबिनेट मिनीस्टर बनाने पर मंथन किया जा रहा है।
ज्ञानचंद को स्पीकर बनाने की चर्चा
सीएम के खास पंचकूला से विधायक ज्ञानचंद गुप्ता को इस बार विधानसभा स्पीकर बनाने की भी चर्चा जोरों पर हैं। ज्ञानचंद पिछली सरकार में मुख्य सचेतक (चीफ व्हीप) की भूमिका में थे। इस बार ज्ञान फिर जीते हैं, इसलिए जाहिर है, उन्हें भी बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। इसके अलावा डिप्टी स्पीकर का पद भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी जजपा को देने का विचार कर रही है।
महिलाओं में सीमा त्रिखा, नैना आगे
जाहिर सी बात है मंत्रीमंडल में महिलाओं की भागेदारी निश्चित तौर पर रहेगी। इसके लिए भाजपा के पास तीन महिला विधायक कलायत से कमलेश ढांडा, गन्नौर से निर्मला रानी व बड़खल से सीमा त्रिखा मौजूद हैं। देखा जाए तो इनमें से सीमा त्रिखा वरिष्ठ हैं। लिहाजा भाजपा की ओर से उनके नाम पर चर्चा चल रही है। मगर दूसरी ओर भाजपा के सहयोगी जजपा के पास भी नैना सिंह चौटाला सीनियर महिला विधायक हैं, इसलिए जजपा उन्हें मंत्री बनाने के लिए प्रयासों में जुटी हुई हैं।
राव इंद्रजीत व कृष्णपाल अपने चहेतों की लॉबिंग में जुटे
केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत और कृष्ण पाल गुज्जर भी अपने चहेते विधायकों को मंत्री बनाने की जुगत में लगे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार दोनों मंत्री हाईकमान के समक्ष अपने क्षेत्रों में सबसे ज्यादा विधायक जितवाने का दावा करते हुए मंत्रीपद की मांग कर रहे हैं। हालांकि इन मंत्रियों का कद और क्षेत्र में दबदबा भी कम नहीं है, लिहाजा भाजपा हाईकमान भी मंत्रीमंडल के गठन के दौरान इन दोनों मंत्रियों की रायशुमारी और पंसद को नजरअंदाज करे, इसकी संभावनाएं कम हैं।
निर्दलीयों में बलराज, रणजीत व गोलन की चर्चा
चूंकि भाजपा के पास सात निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है। इसलिए मंत्रीमंडल के गठन में इनकी भी भागेदारी रहे, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। सूत्र बताते हैं कि इन सात निर्दलीयों में से फिलहाल मंत्री बनाने के लिए महम से विधायक बलराज कुंडू, रानियां से रणजीत सिंह चौटाला व पूंडरी से रणधीर सिंह गोलन का नाम आगे चल रहा है। जबकि पृथला से नयनपाल रावत भी मंत्री पद के लिए दावा ठोक रहे हैं। अब देखना यह है कि मुहर किसके नाम पर लगती है। इसके अलावा युवा चेहरा भी इस बार मंत्रीमंडल में देखने का मिलेगा। जिसमें हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह का नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है।
जातीय समीकरणों पर भी ध्यान
इसके अलावा जातीय समीकरणों को भी ध्यान में रखते हुए भाजपा वैश्य, पिछड़ा व अनुसूचित जाति के विधायकों को भी पूरी तवज्जो देगी। इसके लिए जीते हुए विधायकों में इन जातियों से संबंध रखने वाले कौन विधायक वरिष्ठ हैं, जिन्हें मंत्रीपद दिया जा सकता है इस पर विचार चल रहा है।
जजपा को साधना बड़ी चुनौती
मंत्रीमंडल में सबसे बड़ी सहयोगी जजपा को साधाना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सूत्रों के अनुसार जजपा ने भाजपा से चार मंत्रियों (दो कैबिनेट, दो राज्यमंत्री) की मांग की है। मगर भाजपा तीन मंत्री ही जजपा को देना चाहती है। सूत्र बताते हैं कि तीन मंत्रियों के अलावा जजपा को समय आने पर एक राज्यसभा सदस्य का ऑफर भी दिया जा सकता है।