यूरोपीय यूनियन के 28 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल घाटी के जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए एक दिवसीय दौरे पर श्रीनगर पहुंच चुका है। यूरोप प्रतिनिधिमंडल में इटली, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस और पोलैंड के एमपी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इस दौरे के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उनके साथ मौजूद हैं। एअरपोर्ट से इस दल को कड़ी सुरक्षा के बीच लंच के लिए ले जाया गया है। इसके बाद सेना के 15 कोर के मुख्यालय में इस दल के साथ सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ इनकी बैठक होगी।
सूत्रों की मानें तो कश्मीर के सरपंच, पंच आदि का एक दल इस प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात कर सकता है। इतना ही नहीं संभावना यह भी है कि इन्हें शोपियां और तंगधार भी ले जाया सकता है जहां हाल ही में सेब उद्योग से जुड़े लोगों की हत्या हुई और पाकिस्तान की ओर से हुए युद्ध विराम उल्लंघन से स्थानीय लोगों को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा क्लियरेंस मिलने पर श्रीनगर शहर के दौरे पर भी उन्हें ले जाया जा सकता है।
बता दें कि जम्मू कश्मीर से 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले के बाद यह पहला अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि मंडल है जिसे कश्मीर का दौरा करने की अनुमति दी गई है।
ईयू सांसदों के कश्मीर दौरे पर सियासत तेज
वहीं ईयू सांसदों के कश्मीर दौरे पर सियासत तेज हो गई है। नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने मांग की है कि इस प्रतिनिधिमंडल को आम जनता और सियासी नेताओं से मिलने की अनुमति दी जाए। दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा है कि अगर निमंत्रण मिला तो पार्टी प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात कर सकती है।
अनंतनाग से नेकां सांसद हसनैन मसूदी ने अमर उजाला के साथ फोन पर बातचीत में कहा कि, यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन यह तभी फायदेमंद होगा जब प्रतिनिधि मंडल को आम लोगों के साथ, सिविल सोसायटी राजनीतिक पार्टी के नेताओं से भी मिलने दिया जाए। वहीं जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के ट्विटर अकाउंट से उनकी बेटी ने ट्वीट किया है कि यह प्रतिनिधि मंडल जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों से क्यों नहीं मिल सकता।
ऐसे में दो स्थितियां पैदा होती हैं और वह यह हैं कि अगर प्रतिनिधि मंडल कहता है कि हालात सामान्य है तो केंद्र को सियासी कैदियों को छोड़ने के साथ-साथ इंटरनेट बहाल करना होगा और अगर वो यह कहता है कि हालात सामान्य नहीं है तो ऐसे में केंद्र के दावे झूठे साबित हो सकते हैं।
ट्वीट में आगे लिखा है कि अगर इस 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को इजाजत दी जा सकती है तो फिर इससे पहले अमेरीकी सेनेटर के प्रतिनिधि मंडल को क्यों नहीं अनुमति दी गई। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि उन्हें आम जनता, मीडिया और सिविल सोसायटी के सदस्यों से मिलने दिया जाएगा। इससे कश्मीर और शेष दुनिया के बीच पर्दा उठ जाएगा।
कांग्रेस प्रवक्ता फारूक अंदराबी ने कहा कि हमें अगर आमंत्रण मिलेगा तो हम जरूर मिलेंगे। फारूक ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल मंलवार को यहां आएगा, अगर हमें मिलना होगा तो हम मिलेंगे। बुलाया जाएगा तो जरूर मिलेंगे।