उद्यानिकी और डेयरी उत्पादन से किसानों को बहुत अधिक लाभ मिल सकता है : एपीसी प्रभांशु कमल 

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इन्दौर । कृषि उत्पादन आयुक्त श्री प्रभांशु कमल की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में कृषि उत्पादन संबंधी बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर कृषि से जुडे अधिकारियों को सम्बोधित करते हुये श्री कमल ने कहा कि किसान पराम्परागत खेती के साथ उद्यानिकी फसल और डेयरी उत्पादन पर विशेष जोर दें। डेयरी उत्पादन से लागत से चार गुना अधिक लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये किसानों को फल, सब्जी, मसाला और फूलों की खेती तथा डेयरी उद्योग पर विशेष जोर देना होगा। उद्यानिकी और डेयरी के लिये राज्य शासन द्वारा अनुदान और बैंकों द्वारा ऋण भी प्रदान किया जाता है। मगर जागरूकता की कमी के कारण किसान डेयरी उद्योग की तरफ कम ध्यान दे रहे है। बैठक में संभागायुक्त श्री आकाश त्रिपाठी, आयुक्त उद्यानिकी श्री एम कालीदुरई, प्रबंध संचालक एम. एग्रो श्री आलोक सिंह सहित इन्दौर संभाग के सभी कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में श्री कमल ने कहा कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये नगदी फसल पर विशेष ध्यान देने के जरूरत है। केला, गन्ना, मिर्ची, कपास, पपीता, आम, सुरजना की फली, सीता फल, मूंगफली आदि की खेती पर विशेष जोर देने की जरूरत है। मैग्नीफिसेंट मध्यप्रदेश-2019 के निवेश सम्मेलन में 25 प्रतिशत उद्योगपतियों ने इन्दौर संभाग में खाद्य प्रसंकरण उद्योग लगाने पर सहमति व्यक्त की है। बढ़ती आबादी और गिरते भू-जल स्तर को देखते हुये राज्य और केन्द्र सरकार ड्रिप  और इंस्पिंकुलर  पर जोर दे रही है। ड्रिप और इंस्पिंकुलर इरिगेशन के व्यापक प्रसार-प्रसार के लिये हर साल हर जिले में संगोष्ठी आयोजित की जाये। इन्दौर संभाग के हर जिले में इन्दौर को छोड़कर शेष जिलों में कम से कम पाँच पाँच शीतगृह खोले जाये, जिससे किसानों को फल और सब्जी आलू तथा प्याज संरक्षण करने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव पशु पालन विभाग श्री मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में विशेष मुहिम चलाकर किसानों को पशु पालन के महत्व को समझाया जाये। फसल उत्पादन की तुलना में पशु पालन से चार गुना अधिक लाभ मिलता है। प्रदेश में गाय, भैंस, बकरी और मुर्गी पालन व्यवसाय की विस्तार की व्यापक संभावनायें है। राज्य शासन इस दिशा में विशेष प्रयास कर रहा है। राज्य शासन द्वारा पशुओं के इलाज के लिये बेहतर सुवधाएं मुहैया कराई जायेंगी।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में डेयरी उद्योग का बहुत बड़ा योगदान है। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन हर वर्ष 8.12 प्रतिशत वद्धि दर्ज की गई है। देश में दुग्ध उत्पादन में मध्यप्रदेश का छठा स्थान है। प्रदेश में कुल अण्डा उत्पादन 2 हजार 43 मिलियन है तथा अण्डा उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश का राष्ट्र में 12वाँ स्थान है। अण्डे की प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष  उपलब्धता राष्ट्रीय स्तर पर 77 है तथा प्रदेश स्तर पर 26 है। प्रदेश का गौवंश में राष्ट्र में प्रथम तथा गैस वंश में पाँचवें स्थान पर है। समग्र रूप से गौ-भैंस वंशीय पशुओं में द्वितीय स्थान है।
बैठक में बताया गया कि इन्दौर सहकारी दुग्ध संध की स्थापना 1982 में की गई। मुख्य डेयरी संयंत्र संसाधन क्षमता 4 लाख प्रतिदिन लीटर है। दुग्ध शीतकेन्द्र की क्षमता 1 लाख 28 हजार लीटर प्रतिदिन है। मक्खन और घी दुग्ध उत्पादन 8 मैट्रिक टन है। दुग्ध चूर्ण संयंत्र की क्षमता 12 मैट्रिक टन है। इन्दौर दुग्ध सहकारी संघ को आईएसओ-9001,15001,22001 प्रमाण-पत्र प्राप्त है। इस सहकारी संघ क्षेत्र का कार्य क्षेत्र में इन्दौर संभाग के सभी जिले और देवास शामिल है।
बैठक में उद्यानिकी, डेयरी और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारी मौजूद थे।