फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स के बारे में अभी कम लोगों को ही जानकारी है पर आजकल इनके पेशेवरों की मांग बढ़ती जा रही है।
बैकों, फाइनेंस कंपनियों, कॉरपोरेट क्षेत्रों, आयातक-निर्यातक कंपनियों, लीजिंग फर्मों, चिट फंड कंपनियों, इंश्योरेंस कंपनियों आदि में बड़े पैमाने पर फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स के पद सृजित किए जा रहे हैं। वहीं बढ़ते सायबर प्राइम ने भी इस प्रकार के पेशेवरों की जरूरत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कॉमर्स, एकाउंट्स आदि क्षेत्रों में भविष्य संवारने के इच्छुक युवाओं के लिए यह क्षेत्र उन्नति के पर्याप्त अवसर प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। देश में प्रतिवर्ष 40 अरब डॉलर से यादा धन वित्तीय घोटालों की भेंट चढ़ जाता है जबकि बामुश्किल 500 फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स ही फिलहाल देश में इनकी रोकथाम या पकड़ धकड़ के लिए उपलब्ध हैं। एक अनुमान के अनुसार 6 हजार से अधिक ऐसे पेशेवर हमें चाहिए। बढ़ती माँग के कारण हैं कर चोरी, बैंकिंग फ्रॉड, बिजनेस खरीद धांधली, तलाक के वक्त संपत्ति मूल्यांकन, धन की गलत तरीके से निकासी, वित्तीय घपलों में कानूनी साक्ष्य जुटाना।
सर्टिफाइड बैंक फॉरेंसिक एकाउंटिंग (सीबीएफए) इस प्रकार के पेशे में कदम रखने के लिए आवश्यक ट्रेनिंग प्रोग्राम है। इसके अलावा सर्टिफाइड फॉरेंसिक एकाउंटिंग प्रोफेशनल (सीएफएपी) भी एक अन्य ट्रेनिंग प्रोग्राम है। इनका आयोजन विदेशी संस्थानों द्वारा ही अध्ययन के विभिन्न माध्यमों से किया जाता है। इसके अलावा देश में निजी संस्थान भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन करते हैं।
फॉरेंसिक एकाउंटेंट्स अपनी जाँच पड़ताल में समस्त 100 प्रतिशत लेखा आँकड़ों को पूरी सतर्कता के साथ देखता है जबकि ऑडिटर सिर्फ लेखा कानूनों पर निर्भर होकर जाँच कार्य को अंजाम देते हैं। यही कारण है कि इन प्रोफेशनलों से अधिक सतर्क एवं चुस्त रहने की अपेक्षा की जाती है। अच्छे फॉरेंसिक एकाउंटेंट बनने के लिए एकेडेमिक क्वालीफिकेशन के अलवा व्यक्तित्व के कुछ विशिष्ट गुणों का समावेशन भी जरूरी है। इनमें कॉमनसेंस, इंटेलीजेंस, विश्लेषण क्षमता, कानूनी पहलुओं का जानकार, वित्त संबंधी जानकारी, लेखा कार्य में निपुणता तथा व्यावहारिक मनोविज्ञान की बेसिक समझ आदि का विशेष तौर पर उल्लेख किया जा सकता है।