भाजपा शासित राज्य महाराष्ट्र और हरियाणा में सरकार बनाने की संभावनाएं न के बराबर देखते हुए सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित मध्य प्रदेश और राजस्थान के विवाद सुलझाने शुरू कर दिए हैं। दोनों ही राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लंबे समय से घमासान है और पार्टी वहां दो पॉवर प्वाइंट बनाने से बचना चाह रही है। बावजूद सोनिया मध्य प्रदेश को लेकर जल्द कोई फैसला लेना चाहती हैं। जबकि राजस्थान को करीब छह महीने बाद होने वाले पंचायत चुनावों तक किसी फेरबदल से बचना चाहती हैं।कांग्रेस अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया को बुधवार को बुलाकर प्रदेश अध्यक्ष को लेकर रायशुमारी की। दरअसल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अब प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ना चाहते हैं, लेकिन वे कतई नहीं चाहते कि अध्यक्ष ऐसा कोई व्यक्ति बने जो आए दिन सरकार के लिए चुनौती खड़ी कर मुश्किलें बढ़ाए।
महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में डाला डेरा
महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी की सभी जिम्मेदारियां छोड़कर मध्य प्रदेश में डेरा डाल दिया है। ऊपरी तौर सिंधिया इस पद के लिए खुद को दावेदार नहीं बता रहे हैं, लेकिन वे इस बात पर अड़े हैं कि अब अध्यक्ष उनकी पसंद का हो। दूसरी, उनके समर्थक चाहते हैं कि सिंधिया को ही अध्यक्ष बना दिया जाए। सोनिया ने झाबुआ के विधानसभा उपचुनाव तक सभी नेताओं को शांत करा दिया था, लेकिन गुरुवार को नतीजे आने से पहले उन्होंने होमवर्क शुरू कर दिया। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नेतृत्व अब सिंधिया को नाराज नहीं करना चाहता है। कमलनाथ से बातचीत के बाद जल्द ही नए अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाएगी।
पायलट निभाते रहेंगे दोहरी जिम्मेदारी
राजस्थान को लेकर कांग्रेस नेतृत्व फिलहाल सचिन पायलट को कुछ और समय देना चाहती है। अगले साल अप्रैल में राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का तर्क है कि पायलट को कुछ और समय तक दोहरी जिम्मेदारी निभानी दी जाए। पार्टी इसके लिए तैयार भी है, लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सत्ता जातीय समीकरण संतुलन का जो फार्मूला तैयार किया था, फिलहाल उस पर कोई फैसला नहीं होने जा रहा है।