नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Elections 2020) होने हैं, लेकिन अभी से सभी राजनीतिक दल पैंतरेबाजी में जुट गए हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) के पिछले दो-तीन महीने के बयान पर नजर डालें तो पता चलता है कि वह पूरी तरह से चुनाव मोड में आ चुके हैं. इसी कड़ी में उन्होंने एक बयान दिया था कि बिहार के लोग 500 रुपए का ट्रेन टिकट लेकर दिल्ली आ जाते हैं और 5 लाख रुपए का इलाज करवाकर यहां से चले जाते हैं. उनके इस बयान पर विवाद होने के बाद उन्होंने इसपर सफाई भी दी थी. अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने सीएम केजरीवाल पर जुबानी हमला बोले हैं.
बुधवार (23 अक्टूबर) को दिल्ली के बदरपुर में एक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने कहा कि अगर दिल्ली में रह रहे बिहार के लोग एक दिन काम करना बंद कर दें तो पूरा शहर ठप्प पड़ जाएगा. तब लोगों को बिहार के लोगों की ताकत का अंदाजा लगेगा. उन्होंने अपने भाषण में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की भी मांग की.
नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार दिल्ली की बड़ी आबादी को मूलभूत सुविधाएं देने में भी नाकाम साबित हुई है. उन्होंने कहा कि दिल्ली की अवैध कॉलोनियों में लोग बेहद बुरी हालत में रह रहे हैं, लेकिन सरकार उनके लिए कुछ भी नहीं कर पा रही है.
जदयू प्रमुख नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने कहा कि बिहार की तर्ज पर दिल्ली में भी शराबबंदी लागू होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि पहले बिहार में जंगल राज हुआ करता था, लेकिन अब कानून व्यवस्था नियंत्रण में है. नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने कहा, 'हम बहुत काम करते हैं, लेकिन ज्यादा प्रचार नहीं करते हैं, वास्तव में हम प्रचार पर कम से कम खर्च करते हैं.'
जानकार मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार (Nitish kumar) के बीच ना केवल राजनीतिक गठबंधन है बल्कि दोनों नेताओं के बीच आपसी रिश्ते भी काफी अच्छे हैं. दोनों नेता राजनीति से इतर काफी अच्छे दोस्त माने जाते हैं. ऐसे में सीएम केजरीवाल पर सीएम नीतीश का पलटवार राजनीति में एक साथ कई निशाने साधने वाला माना जा सकता है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि सीएम नीतीश ने अपने भाषण में अवैध कॉलोनियों को मुद्दा उठाया, है, जबकि दूसरी तरफ मोदी सरकार ने दिल्ली की 1797 अवैध कॉलोनियों को नियमित करने की घोषणा की है.
हालांकि कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए जदयू अध्यक्ष ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ेगी, वह किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेगी.
मालूम हो कि दिल्ली में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की बड़ी आबादी है. पूर्वांचली लोगों को साधने के लिए ही बीजेपी ने मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है. शीला दीक्षित के शासन में पूर्व सांसद महाबल मिश्रा पूर्वांचल के लोगों के वोट जुटाने काम करते थे. वहीं आम आदमी पार्टी में ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो दिल्ली में पूर्वांचल के वोटरों को लुभा सके. दिल्ली की राजनीति को करीब से समझने वाले जानकार मानते हैं कि आम आदमी पार्टी पूर्वांचल बनाम गैर पूर्वांचल की राजनीति पर फोकस करते रहे हैं. सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) का बयान भी उसी संदर्भ से जोड़कर देखा जाता है.