सीहोर. मध्य प्रदेश के सीहोर ज़िले के जंगल (Forest) अंदर ही अंदर खोखले होते जा रहे हैं. हालत ये है कि प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh government) ने अगर जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो सागौन के ये जंगल (Sagaun forest) महज किताबों में ही पढ़े और देखे जा सकेंगे. सीहोर जिले का कुल क्षेत्रफल 6578 वर्ग किलोमीटर है, जिसमे से 1520 वर्ग किलोमीटर में सागौन के वृक्षों का बेशकीमती जंगल है, हालांकि वन अमले की मिलीभगत से वन माफिया लगातार इन जंगलों में लगे सागौन के पेड़ों को काटकर उनकी जगह खेती की जमीन तैयार कर रहे हैं. ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत वन विभाग से भी की, लेकिन आरोप है कि उन्होंने इससे पल्ला झाड़ लिया है.
ग्रामीणों ने की शिकायत
इस मामले में नया मोड़ उस समय आया जब जिले के नसरुल्लागंज ब्लाक के वन परिक्षेत्र लाड़कुई के वन बीट सिंहपुर के कक्ष क्रमांक 428 में वन विभाग नाके से मात्र 100 मीटर की दूरी पर वन माफियाओं ने सागौन के पेड़ों को काटकर वहां पर अवैध अतिक्रमण कर लिया.
वन अमले की मिलीभगत
जिले में फैले सागौन के जंगल को अतिक्रमणकारियों का स्वर्ग माना जाता है. जिले के वन अफसरों और कर्मचारियों की नाक के नीचे वन माफिया के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि रात में ट्रैक्टर से वन भूमि पर जुताई कर खेती करने में लगे हैं. हैरत की बात ये है कि जब ग्रामीणों को इस अतिक्रमण की जानकारी है और वो शिकायत कर रहे हैं तो भला वन अमला क्यों इस और से मुंह मोड़ कर बैठा है. इस अतिक्रमण में वन विभाग के अफसरों पर मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं, मीडिया द्वारा पूछे जाने पर स्थानीय वन अधिकारियों ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया है.