राज्य सरकार ने इंदिरा सागर बांध पर प्रथम चरण में 1000 मेगावॉट अल्ट्रा मेगा फ्लोटिंग सोलर परियोजना विकसित करने की पहल की है। परियोजना की स्थापना से प्रदेश को कई फायदे होंगे, जिसमें जलाशय का उपयोग भूमि के विकल्प के रूप में किया जाएगा। इसकी स्थापना से सस्ती विद्युत का अधिक उत्पादन होगा और वाष्पीकरण में कमी आने से जल-संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। जल की गुणवत्ता में वृद्धि होगी। इस तरह यह परियोजना अपने तरह की अनोखी होगी।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश के इंदिरा सागर जलाशय को एशिया में सबसे बडा़ जल निकाय होने का गौरव प्राप्त है। इस जलाशय में जल निकाय का न्यूनतम क्षेत्र 26 हजार 710 हेक्टेयर है, जो 13 हजार मेगावाट की सौर परियोजना को समायोजित कर सकता है। इसी के मद्देनजर यहाँ यह परियोजना विकसित की जायेगी।
राज्य की बिजली खपत में एक चौथाई हिस्सा नवकरणीय ऊर्जा का है। करीब पौने पाँच हजार मेगावाट का विद्युत उत्पादन कर मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर मध्यप्रदेश में बहुतायत में उपलब्ध नवकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से विद्युत उत्पादन पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। प्रदेश में सितम्बर-2019 की स्थिति में सौर ऊर्जा से 2071 मेगावॉट, पवन ऊर्जा से 2444 मेगावॉट, बायोमास ऊर्जा से 117 मेगावॉट और लघुजल विद्युत ऊर्जा से 96 मेगावॉट विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है।
तीन जिलों में नए सोलर पार्क
विभिन्न जिलों में नवकरणीय ऊर्जा को और अधिक विकसित करने की दृष्टि से सोलर पार्क स्थापित किये जा रहे हैं। इसमें रीवा जिले की गुढ़ तहसील में विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक 750 मेगावाट क्षमता का अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट स्थापित किया गया है। इस परियोजना से उत्पादित विद्युत में से 24 प्रतिशत विद्युत दिल्ली मेट्रो को दी जा रही है। इस परियोजना के लिए ऐतिहासिक दरें रू.2.97 प्रति यूनिट विद्युत टैरिफ प्राप्त हुई है, जिससे राज्य को लगभग रू.1600 करोड़ तथा दिल्ली मेट्रो को रू.790 करोड़ की बचत होगी। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इस परियोजना से कार्बन डाईआक्साईड के उत्सर्जन में प्रति वर्ष 5.14 लाख टन की कमी होगी। मंदसौर जिले में 685 हेक्टेयर भूमि पर 250 मेगावॉट सोलर पार्क की स्थापना की जा चुकी है। तीन जिलों में 1500 मेगावॉट के सोलर पार्क की स्थापना अंतिम चरण में है। इसके अंतर्गत नीमच जिले में 500 मेगावॉट (969 हेक्टे.. राजस्व भूमि), आगर में 550 मेगावॉट (1404 हेक्टे. राजस्व भूमि) एवं शाजापुर जिले में 450 मेगावॉट (1066 हेक्टे. राजस्व भूमि) के सोलर पार्क स्थापित किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। प्रदेश में उत्पादित सस्ती सौर विद्युत को एम.पी.पी.एम.सी और भारतीय रेल्वे द्वारा खरीदे जाने की प्रतिबद्वता है।
इसी तरह के साथ अल्ट्रा मेगा रिन्यूवेबल पॉवर प्रोजेक्ट-1 के अंतर्गत सागर जिले में 1000 मेगावॉट तथा छतरपुर जिले में 800 मेगावॉट तथा प्रोजेक्ट-2 के अंतर्गत मुरैना जिले में 800 मेगावॉट तथा इन्दिरा सागर बांध पर 1000 मेगावॉट सोलर पार्क स्थापित किया जाना प्रस्तावित है।