चेन्नई: महाबलीपुरम में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग की मुलाकात पर सबसे ज्यादा अगर किसी की नज़रें गड़ी थीं, तो वो है पाकिस्तान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की. शी जिनपिंग ने महाबलीपुरम में इमरान को ऐसा झटका दिया जिसकी उन्हें उम्मीद भी नहीं थी. राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने न सिर्फ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ने का संकल्प लिया, बल्कि ये भी मान लिया कि आतंक और धार्मिक कट्टरता दोनों देशों के लिए साझा चुनौती है और इससे मिलकर निपटना होगा.
इसके अलावा, चीन ने कश्मीर मुद्दे पर भारत से कोई बात नहीं की. ये इमरान ख़ान के लिए दूसरा बड़ा झटका है क्योंकि कश्मीर मुद्दे पर अपनी गुहार लेकर इमरान ख़ान चीन गए थे लेकिन जिनपिंग ने पीएम मोदी से 6 घंटो की मुलाकात में कोई बात उठाई, ना ही द्विपक्षीय मुलाकात में ये मुद्दा उठा, यानी भारत आकर जिनपिंग ने कश्मीर मुद्दे पर भारत का साथ दिया.
जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोपेगैंडा करने की कोशिश करता रहा है. हालांकि हर बार उसे नाकामी हाथ लगी है. कश्मीर पर पाकिस्तान को सबसे नाकामी तब मिली जब शी जिनपिंग के भारत दौरे से ठीक पहले चीन ने ये कह दिया कि कश्मीर भारत औऱ पाकिस्तान का द्विपक्षीय मामला है, इसमें किसी औऱ के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।आज मोदी-जिनपिंग के बीच वैश्विक आतंकवाद और इससे पैदा होने वाले खतरे पर चर्चा हुई. पाकिस्तान को तीसरा बड़ा झटका तब लगा जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी को चीन आने का निमंत्रण दिया और पीएम मोदी ने उनका न्योता कबूल भी कर लिया.
मोदी का स्टाइल ऐसा है कि दुनिया के नेताओं ने मोदी का लोहा माना है और पीएम मोदी की पहचान एक ग्लोबल लीडर के तौर पर अगर हुई है तो उसकी बड़ी वजह ये है कि प्रधानमंत्री मोदी आतंक के खिलाफ खुलकर बोलते हैं और आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों को सबक सिखाने की बात कहते हैं.