नई दिल्ली महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रदेश के दो सबसे पुराने एनडीए और यूपीए गठबंधन एक बार फिर आमने-सामने है। भाजपा और कांग्रेस की अगुवाई वाले यह दोनों गठबंधन पिछले कई चुनाव लड़ चुके हैं, पर इस बार मुकाबला अलग है।
कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन के सामने जहां खुद को साबित करने की चुनौती है, वहीं भाजपा और शिवसेना में भी वर्चस्व की लड़ाई है। प्रदेश की सियासत में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन दो दशक पुराना है। दोनों पार्टियों ने मिलकर 15 साल तक गठबंधन सरकार चलाई है। पर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का असर कम हुआ है। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-एनसीपी के पास भाजपा-शिवसेना गठबंधन से करीब 12 फीसदी वोट अधिक मिले।
एक दशक में 20% वोट घटे
इस साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और एनसीपी का वोट प्रतिशत लगभग बराबर रहा। वहीं, कांग्रेस के मुकाबले एनसीपी को तीन सीट अधिक सीट मिली। आंकड़ो बताते हैं कि पिछले दस साल में कांग्रेस के वोट प्रतिशत में करीब 20 फीसदी की कमी आई है। 2009 के विधानसभा में पार्टी को 36.51 प्रतिशत वोट मिले थे,2019 के लोकसभा में कांग्रेस सिर्फ 16.27 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही।