बेल या विल्वपत्र कई रोगों में लाभकारी ‌है 

0
67

बिल्व का लेटिन नाम –एगले मार्मेलोस संस्कृत में –बिल्व ,शांडिल्य ,शैलूष ,श्रीफल ,मालूर ,गंधगर्भ ,सदाफल हिंदी में –बेल ,मराठी में -बेल ,गुजरती में —बीली पंजाबी में बिल 
इसका पत्र संयुक्त ,त्रिपत्रक  , और गंध युक्त होता हैं .
इसकी मज्जा में म्यूसिलेज ,पेक्टिन ,शर्करा ,टेनिन ,उड़नशील तेल ,टिकट सत्व ,निर्यास तथा भस्म २% होते हैं.इसमें जो कार्यकारी तत्व होता हैं उसे मार्मेलोसिओने कहते हैं .ताजे पत्ते से एक विशिष्ठ गंध युक्त हरा -पीला तेल निकलता हैं .
बेलपत्र के बारे में तो आप जानते ही होंगे, लेकिन अगर आप समझते हैं कि इसका इस्तेमाल केवल शिवलिंग पर चढ़ाने व पूजा में किया जाता है तो आप गलत सोच रहे हैं। दरअसल, बेलपत्र का इस्तेमाल कई रोगों को मिटाने के लिए जड़ी बूटी के तौर पर भी किया जाता है। 
1 बेल के रस को हल्के गुनगुने पानी में मिलाएं । इस घोल का नियमित सेवन करने से खून साफ होने में मदद मिलती है।
2 कहते है कि बेलपत्र की मदद से सफेद दाग भी ठीक होते हैं। बेल के गूदे में सोरलिन नामक तत्व पाया जाता है जो त्वचा की धूप सहने की क्षमता बढ़ाता है, साथ ही इसमें कैरोटीन भी पाया जाता है जो सफेद दाग हल्के करने में मदद करता है।
3 बेलपत्र पित्त की समस्या, खुजली और त्वचा के दाग-छब्बों को भी दूर करने में सहायक है। इसके लिए बेल के रस में जीरा मिलाकर पिएं।
4 सिर और बालों से संबंधि समस्या को भी बेलपत्र की सहायता से दूर किया जा सकता है। इसके लिए बेल के पके हुए फल के छिलके लें, उन्हें साफ करके उनमें तिल का तेल और कपूर मिलाएं। अब इस तेल को रोजाना सिर में लगाएं, इससे सिर में जूं खत्म होने के अलावा अन्य समस्याओं में भी फायदा होता है।
5 बेलपत्र बालों को झड़ने से रोकने में भी मददगार है। इसके लिए रोजाना एक बेल के पत्ते को धोकर खा सकते है। जल्द ही आपको फर्क दिखना शुरू हो जाएगा।
6 अगर बेल के पके फल को  शकर मिलाकर खाया जाएं, तो खून साफ होने में मदद मिलती है।
7 शरीर से आ रही दुर्गंध को खत्म करने के लिए भी बेलपत्र का इस्तेमाल कर सकते है। इसके लिए बेल के पत्तों का रस पूरे शरीर पर लगाकर कुछ देर रखे फिर एक घंटे बाद नहा लें।
8 मुंह के छाले ठीक करने के लिए पके हुए बेल के गूदे को पानी में उबाल कर ठंडा कर लें। अब इस पानी से कुल्ला करें।
9 बेलपत्र का काढ़ा नियमित पीने से दिल मज़बूत रहता है और हार्ट अटैक की आशंका कम होती है
10 बेल पत्तियों का रस बनाकर नियमित रूप से सेवन करने से सांस से जुड़ी बीमारियों में लाभ होता है।
11 तेज बुखार होने पर बेलपत्र का काढ़ा पीने से राहत मिलती है।
बेल का प्रयोज्य अंग — मूल,त्वक ,पत्र,फल .चूर्ण के लिए कच्चा फल ,मुरब्बे के लिए अधपका फल और शरबत केलिए पका फल लेना चाहिए ,
बिल्वपंचक क्वाथ ,बिल्वादि चूर्ण ,बिल्वादि घृत ,बिल्व तेल ,बिल्वादिअवलेह   
यह सुगमता से मिलने वाला फल हैं और पत्ते भी लाभप्रद होते हैं .