सीबीआई विवाद पर अब मंगलवार को फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा से मांगा जवाब

भोपाल

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उच्चतम न्यायालय में आज केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायालय ने उन्हें केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा उनपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच वाली रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दी गई। न्यायालय ने उनसे इस जांच के आधार पर अपना जवाब सीलबंद लिफाफे में ही न्यायालय को सौंपने के लिए कहा है। इसके लिए वर्मा ने न्यायालय से थोड़ा समय मांगा। उनके अनुरोध को मानते हुए न्यायालय ने उन्हें सोमवार तक का समय दे दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।

हालांकि न्यायालय ने कहा कि आलोक वर्मा के खिलाफ लगे कुछ आरोपों का सीवीसी की रिपोर्ट समर्थन नहीं करती है और कुछ मामलों में उसका कहना है कि और जांच की जरूरत है। न्यायालय ने कहा कि आलोक वर्मा पर सीवीसी की रिपोर्ट अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को भी सौंपी जाए। न्यायालय ने सीवीसी रिपोर्ट की प्रति मुहैया कराने संबंधी सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना का अनुरोध ठुकरा दिया। न्यायालय ने कहा कि सीबीआई में लोगों के भरोसे की रक्षा करने और संस्थान की पवित्रता बनाए रखने के लिए सीवीसी रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है।

बता दें कि मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।  वर्मा ने उच्चतम न्यायालय में अपने खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप के बाद सरकार के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्हें ड्यूटी से हटाने और छुट्टी पर भेजा गया था। इससे पहले 12 नवंबर को मामले की सुनवाई हुई थी। जिसमें सीवीसी ने अपनी जांच रिपोर्ट को सील बंद लिफाफे में न्यायालय को सौंपी थी। इसके अलावा न्यायालय ने कहा कि वह सीबीआई के डीएसपी एके बस्सी की याचिका पर बाद में सुनवाई करेंगे। बस्सी को पोर्ट ब्लेयर ट्रांसफर कर दिया गया था और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार के आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले पर सवाल उठाए थे।

सीबीआई एफआईआर: शिकायकर्ता का दावा राकेश अस्थाना को दिए थे 3 करोड़ रूपये
कैसे हुई विवाद की शुरुआत

सीबीआई के दोनों अधिकारियों वर्मा और अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इतना ही नहीं सीबीआई ने अपने नंबर दो के अधिकारी के खिलाफ 15 अक्तूबर को एफआईआर दर्ज की थी। वहीं अस्थाना ने 24 अगस्त को वर्मा के खिलाफ कैबिनेट सचिव को पत्र लिखा था। कैबिनेट सचिव ने अस्थाना की शिकायत को सीवीसी के पास भेज दिया था।

आरोपों पर राकेश अस्थाना ने कहा – सीबीआई निदेशक मुझे फंसा रहें, सीवीसी को लिखा पत्र

अस्थाना की शिकायत के दो महीने बाद सीबीआई ने उनके, सीबीआई डीएसपी देवेंद्र कुमार, मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद के खिलाफ 15 अक्तूबर को सतीश बाबू के 4 अक्तूबर को दिए बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी। अस्थाना ने वर्मा पर हैदराबाद के व्यवसायी सतीश बाबू सना से 2 करोड़ रुपये घूस के तौर पर लेने का आरोप लगाया है। सना से जांच एजेंसी मीट निर्यातक मोईन कुरैशी से संबंधित मामलों में पूछताछ कर रही थी।

सना का दावा है कि उसने पूछताछ से बचने के लिए सीबीआई के विशेष निदेशक अस्थाना को 3 करोड़ रुपये की घूस दी थी। अस्थाना से उनकी डील दो भाईयों सोमेश और मनोज प्रसाद ने करवाई थी। उनका कहना था कि यदि वह 5 करोड़ रुपये दे देगा तो उसे इस मामले से राहत मिल जाएगी। जिसके लिए वह तीन करोड़ रुपये इन भाईयों को दे चुका था। इसके अलावा सना ने दिल्ली में अस्थाना से मुलाकात करने का दावा किया था।