भोपाल। एक 45 वर्षीय महिला लंबे समय से पेट के भीतर उभरे ट्यूमर से परेशान थी। उसने ट्यूमर की अनेक अस्पतालों में सर्जरी कराई, लेकिन ट्यूमर फिर से उभर आया और बड़ा हो गया, जिससे इसे हटाना और भी कठिन हो गया। ट्यूमर पेट, बड़ी आंत और बाईं रीनल वेन जैसे महत्वपूर्ण अंगों से चिपका हुआ था, जिससे सर्जरी के दौरान इन अंगों को नुकसान पहुंचाए बिना इसे निकालने की आवश्यकता थी।
महिला बीते दिनों राजधानी में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पहुंची, जहां डॉक्टरों की टीम ने छह घंटे तक चली सर्जरी के बाद ट्यूमर को बाहर निकाल दिया है। यह ट्यूमर 14.5 गुणा 15 सेमी आकार का था। प्रोफेसर डॉ. मनीष स्वर्णकार के नेतृत्व में डॉ. मूरत सिंह यादव और डॉ. सूर्या जैन की टीम द्वारा यह सर्जरी की गई।
मरीज की स्थिति में सुधार
डॉ. मनीष स्वर्णकार ने बताया कि इस जटिल सर्जरी में अग्नाशय के हिस्से और तिल्ली को निकाला जाता है। यह एक साधारण मामला नहीं था। ट्यूमर का बड़ा आकार और इसके आस-पास के अंगों से जुड़ा होना इसे अत्यधिक जटिल बना रहा था। हालांकि एम्स में हमारी टीम के प्रयासों और उन्नत तकनीक की मदद से हमने इन चुनौतियों को पार कर लिया। सर्जरी के बाद महिला मरीज की स्थिति स्थिर है और वह तेजी से स्वस्थ हो रही है।
ऐसे की सर्जरी
डॉ. स्वर्णकार ने बताया कि इस सर्जरी में ट्यूमर को आसपास के अंगों से सावधानीपूर्वक अलग किया गया, ताकि ऊतकों को न्यूनतम क्षति हो। ट्यूमर को पूरी तरह से हटाने के लिए डिस्टल पैंक्रियाटेक्टोमी और स्प्लेनेक्टोमी करना आवश्यक था, ताकि भविष्य में ट्यूमर की पुनरावृत्ति और जटिलताओं से बचा जा सके। ऐसे दुर्लभ ट्यूमर सॉलिड स्यूडोपैपिलरी के रूप में भी जाने जाते है।
यह जटिल और जीवनरक्षक सर्जरी एम्स भोपाल के चिकित्सा विशेषज्ञों के कौशल और समर्पण को दर्शाती है। हमारी टीम ने अत्यधिक चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उन्नत तकनीक और सटीकता के साथ इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। हम उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और चिकित्सा उत्कृष्टता की सीमाओं को पार करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
-प्रो. (डॉ.) अजय सिंह, कार्यपालक निदेशक, एम्स भोपाल