वर्ल्ड कप में विमेंस टीम इंडिया का सफर:टी-20 और वनडे मिलाकर 18 टूर्नामेंट में हिस्सा लिया

0
9

विमेंस क्रिकेट का 9वां टी-20 वर्ल्ड कप गुरुवार से शुरू हो चुका है। 10 टीमों के टूर्नामेंट में टीम इंडिया आज से अपने अभियान की शुरुआत करने उतरेगी। भारत का मुकाबला शाम 7:30 बजे से न्यूजीलैंड से होगा। एशियन क्रिकेट की सबसे सफल टीम इंडिया के नाम वर्ल्ड कप में एक भी खिताब नहीं है।

भारत ने अब तक 18 वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया है, इनमें 10 वनडे वर्ल्ड कप और 8 टी-20 वर्ल्ड कप शामिल हैं। टीम 9 बार नॉकआउट स्टेज में भी पहुंची, लेकिन कभी अनुभव की कमी तो कभी बड़े मैच का प्रेशर भारत के आड़े आ गया। टीम को 6 बार सेमीफाइनल और 3 बार फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। टी-20 वर्ल्ड कप में तो भारत एक भी नॉकआउट मैच नहीं जीत सका है।

स्टोरी में  पॉइंट्स में समझेंगे विमेंस क्रिकेट में भारत का अब तक का सफर कैसा रहा है

1. पहले वर्ल्ड कप के बाद बना विमेंस क्रिकेट एसोसिएशन

विमेंस क्रिकेट में वर्ल्ड कप की शुरुआत 1973 से ही हो गई, इंग्लैंड में ICC ने वनडे टूर्नामेंट कराया। तब भारत में विमेंस क्रिकेट बोर्ड नहीं होने के कारण देश ने वर्ल्ड कप में अपनी टीम नहीं भेजी। वर्ल्ड कप के बाद देश में विमेंस क्रिकेट एसोसिएशन (WCAI) बना, जिसके बाद टीम ने 1976 में टेस्ट के रूप में पहला इंटरनेशनल मैच खेला।

1978 में भारत ने सीधे वर्ल्ड कप में ही इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला वनडे मैच खेला। टूर्नामेंट भारत में हुआ, लेकिन इंडिया विमेंस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। 4 टीमों के टूर्नामेंट में टीम तीनों मैच हारकर चौथे नंबर पर रही। 1982 में टीम ने 4 मैच जीते जरूर, लेकिन 8 हार के कारण इस बार 5 टीमों के टूर्नामेंट में चौथा स्थान मिला। 1988 में बोर्ड के आपसी विवाद के कारण टीम ने हिस्सा नहीं लिया।

2. मिताली-झूलन ने टीम को मजबूत बनाया

1993 में टीम इंडिया ने थोड़ा बेहतर प्रदर्शन किया और 8 टीमों में चौथा स्थान हासिल किया। 1997 का वर्ल्ड कप भारत में ही हुआ। प्रमिला भट्ट की कप्तानी में टीम इंडिया ने क्वार्टर फाइनल जीता और सेमीफाइनल में जगह बनाई, लेकिन ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ गया। 1999 में मिताली राज ने महज 16 साल की उम्र में भारत के लिए डेब्यू कर लिया, 3 साल बाद तेज गेंदबाज झूलन गोस्वामी ने भी डेब्यू किया। दोनों ने अगले 20 साल में इंडियन क्रिकेट को पूरी तरह बदलने का जिम्मा उठा लिया। 2000 के वर्ल्ड कप में भारत फिर सेमीफाइनल में पहुंचा, लेकिन इस बार चैंपियन न्यूजीलैंड से हार गया। 2005 में फिर इंडिया विमेंस ने कमबैक किया और उसी न्यूजीलैंड को सेमीफाइनल हराकर फाइनल में जगह बना ली। टीम को फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ गया, लेकिन यहां से इंडियन विमेंस क्रिकेट में बदलाव की नींव पड़ गई।

3. ऑस्ट्रेलिया को 2 नॉकआउट हराए हरमनप्रीत दौर की हुई शुरुआत

2009 के वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज के बाद सुपर-6 स्टेज भी हुआ। टीम इंडिया ने सुपर-6 में ऑस्ट्रेलिया को हराकर तीसरे नंबर पर फिनिश किया। तब टॉप-2 टीमों के बीच फाइनल हुआ था। 2013 और 2022 में टीम नॉकआउट स्टेज में जगह नहीं बना सकी।

2017 के दौरान इंग्लैंड में हुआ टूर्नामेंट भारत का बेस्ट वनडे वर्ल्ड कप रहा। टीम ने ग्रुप स्टेज में 5 मैच जीते और सेमीफाइनल में जगह बनाई। जहां ऑस्ट्रेलिया से सामना हुआ, यहां हरमनप्रीत कौर ने 115 बॉल पर 171 रन की पारी खेली और भारत को 36 रन से जीत दिलाई।

टीम इंडिया इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में भी मजबूत सिचुएशन में थी। 229 रन के टारगेट का पीछा करते हुए भारत का स्कोर एक समय 42 ओवर में 191/3 था। 48 बॉल पर 38 रन ही चाहिए थे, लेकिन यहां वर्ल्ड कप फाइनल के दबाव ने भारत से जीत छीन ली। टीम ने 28 रन बनाने में ही अपने बचे हुए 7 विकेट गंवाए और वर्ल्ड कप जीतने का सुनहरा मौका महज 9 रन के अंतर से गंवा दिया। इस हार का दर्द उसी साल मेंस टीम को चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार से भी बड़ा रहा।

4. टी-20 वर्ल्ड कप की शुरुआत 5 इवेंट में 2 सेमीफाइनल गंवाए

विमेंस क्रिकेट में 2009 से टी-20 वर्ल्ड कप की शुरुआत भी हो गई। भारत ने शुरुआती 2 इवेंट के सेमीफाइनल में जगह बनाई, लेकिन न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ गया। 2012, 2014 और 2016 में टीम नॉकआउट स्टेज खेलने के लिए तरस गई।

2017 के वनडे वर्ल्ड कप में ट्रॉफी के करीब पहुंचने से देश में युवा जनरेशन क्रिकेट खेलने के लिए इंस्पायर हुई। जिससे टीम में जेमिमा रोड्रिग्ज और शेफाली वर्मा जैसी प्लेयर्स की एंट्री हुई। हरमनप्रीत और स्मृति मंधाना 2017 में ही खुद को साबित कर चुकी थीं। इसलिए 2018 के टी-20 वर्ल्ड कप में हरमन को कप्तान भी बना दिया गया।

हरमन की कप्तानी में इंडिया विमेंस 8 साल बाद फिर टी-20 वर्ल्ड कप के नॉकआउट में पहुंची, लेकिन इंग्लैंड से सेमीफाइनल हार गई। टीम फिर 2020 में एक स्टेज आगे पहुंची और फाइनल में जगह बनाई, लेकिन इस बार ऑस्ट्रेलिया से हार मिली। यह टी-20 वर्ल्ड कप में भारत का पहला ही फाइनल था।

2023 के टी-20 वर्ल्ड कप में भारत का सामना सेमीफाइनल में ही ऑस्ट्रेलिया से हो गया। 173 रन के टारगेट के सामने टीम ने एक समय 4 विकेट खोकर 133 रन बना लिए। यहां 33 बॉल पर 40 ही रन चाहिए थे, हरमनप्रीत सेट हो चुकी थीं। अगली बॉल पर उन्होंने 2 रन लेने की कोशिश की, लेकिन क्रीज में पहुंचने से पहले उनका बैट अटक गया और वह रनआउट हो गईं। खराब फिनिशिंग के कारण भारत 5 रन के अंतर से वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचने से चूक गया।

5. ऑस्ट्रेलिया ने किया सबसे ज्यादा परेशान

टीम इंडिया ने 1978 से 2023 तक वनडे और टी-20 वर्ल्ड कप में 18 बार हिस्सा लिया। टीम 9 बार नॉकआउट स्टेज में पहुंची, इनमें 6 बार सेमीफाइनल और 3 बार फाइनल में हार मिली। ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा 5 मुकाबले हराए, वहीं न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ 2-2 बार हार मिली। टीम ने अब तक 3 ही नॉकआउट मैच जीते, जिनमें साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया को 1-1 बार हराया।

ऑस्ट्रेलिया ने भारत से 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीतने का सपना छीन लिया था। कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार विमेंस क्रिकेट को शामिल किया गया। भारत ने सेमीफाइनल में इंग्लैंड को 4 रन से हराया और फाइनल में जगह बनाई। लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने फिर एक बार परेशानी खड़ी की और भारत को 9 रन से हराकर ग्लोबल टूर्नामेंट में चैंपियन बनने से दूर कर दिया।

6. 7 साल में 5 नॉकआउट मैच गंवाए

2017 से इंडिया विमेंस टीम ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के साथ टॉप-3 टीमों में शामिल हो गई। यह 40 सालों में पहली बार ही हुआ। भारत ने तब से 7 टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और 6 के नॉकआउट स्टेज में जगह बनाई। हालांकि, टूर्नामेंट प्रेशर के कारण टीम को 5 में हार का सामना करना पड़ गया, जिनमें 3 बड़े फाइनल शामिल रहे। टीम ने 2 मुकाबले जीते भी, लेकिन दोनों सेमीफाइनल रहे।

7. एशिया कप में सबसे सफल 9 में से 7 खिताब भारत ने जीते

वर्ल्ड कप और ग्लोबल टूर्नामेंट में इंडिया विमेंस को अब तक सफलता नहीं मिल सकी है, लेकिन एशियन लेवल पर भारत के पास बेस्ट टीम है। अब तक हुए 4 वनडे एशिया कप में भारत ने एक भी मुकाबला नहीं गंवाया और टीम हर बार चैंपियन बनी।

टी-20 एशिया कप में भी भारत ने 5 में से 3 खिताब जीते, टीम ने 25 में से 21 ही मैच गंवाए हैं, जिनमें श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाफ 2 फाइनल शामिल हैं। श्रीलंका के खिलाफ तो टीम को इसी साल जुलाई में हार का सामना करना पड़ गया।