विदेशियों को भा रही सीहोर के गांवों की आवभगत:महिलाओं को घर में मिला रोजगार

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सीहोर जिले के होम स्टे और यहां की आवभगत टूरिस्टों को काफी भा रहे हैं। यहां बने मिट्‌टी व लकड़ी के घरों में ब्रिटेन, ताईवान, अमेरिका, कनाडा सहित 10 से अधिक देशों के टूरिस्ट आ चुके हैं। इनके अलावा तमिलनाडु, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, उप्र सहित कई राज्यों से एक हजार से ज्यादा लोग स्टे कर चुके हैं।

लोग यहां सुविधाओं के साथ कच्चे घरों में रहकर ग्रामीण जीवन को अनुभव करते हैं। ऑर्गेनिक तरीके उगाई गई सब्जी व फल के साथ स्थानीय भोजन करते हैं। यहां का कल्चर उनको रास आता है। कई लोग दो से तीन बार आ चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हम शहर वालों को गांव का कल्चर सिखा रहे हैं। स्टे से यहां की महिलाओं और ग्रामीणों को घर में ही रोजगार मिल रहा है।

पर्यटन दिवस पर विंध्याचल पर्वत से लगे पर्यटन गांव खारी से रिपोर्ट…

सीहोर का खारी गांव जिले के अन्य गांवाें की तरह ही सामान्य है। यहां के लोग बच्चों की पढ़ाई, नौकरी और मजदूरी के लिए सीहोर, भोपाल और बिलकिसगंज जाते हैं। कई लोग गांव छोड़कर शहर में बस गए हैं। पिछले ड़ेढ़ साल में गांव में बदलाव देखने को मिला है। यहां पांच लोगों ने पर्यटन विभाग और एक संस्था के साथ मिलकर ईंट, पत्थर, मिट्‌टी, लकड़ी और खपरैल से यहां अब तक पांच होम स्टे तैयार किए हैं। पांच अभी बन रहे हैं। ये होमस्टे पूरे विलेज इकोसिस्टम को दर्शाते हैं। खपरेल की छत, कच्ची दीवारें और गोबर से लीपा हुआ फर्श ये सभी टूरिस्टों को गांव की ओर खींच रहे हैं।

आने वालों का भजन और तिलक से स्वागत

यहां पहुंचने पर स्टे चलाने वाले पारंपरिक तरीके से रोली-चंदन का तिलक और चावल लगाकर स्वागत करते हैं। 82 साल के भंवर जी गौर यहां आने वालों को रामायण से संबंधित भजन, गांव के किस्से आदि सुनाते हैं। उन्हें लगता था कि गांव में कुछ भी खास नहीं है। अब उनकी ये सोच भी बदली है। वे कहते हैं कि अब ऐसा लगता है कि शबरी के घर आकर राम विश्राम कर रहे हैं। यहां आने वालों को भजन के रूप में सुनाते हैं।