भोपाल। मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप अब सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में एक समान क्रेडिट प्रणाली होगी। विद्यार्थी स्नातक अवधि के मध्य, सेमेस्टर से वार्षिक अथवा वार्षिक से सेमेस्टर प्रणाली में अध्ययन कर सकेंगे। यानी विद्यार्थियों को एक संस्थान से दूसरे संस्थान में स्थानांतरण लेना सुविधाजनक होगा। नवीन अध्यादेश लागू होने से विद्यार्थियों को भाषा अध्ययन के अवसर उपलब्ध होंगे।
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि स्नातक पाठ्यक्रम में अभी तक सेमेस्टर और वार्षिक प्रणाली के लिए अलग-अलग अध्यादेश थे। इन दोनों के स्थान पर सभी स्नातक पाठ्यक्रम के लिए एक अध्यादेश 14 (1) तैयार किया है। इसमें भारतीय ज्ञान परम्परा, मूल्य संवर्धन एवं कौशल विकास के अध्ययन के लिए प्रविधान किए गए हैं। यह अध्यादेश चरणबद्ध रूप से लागू होगा।
दो मुख्य विषय का मिलेगा विकल्प
नए अध्यादेश में दो मुख्य विषयों के विकल्प का अवसर रहेगा। वर्तमान व्यवस्था में एक मुख्य विषय का ही विकल्प रहता है। 50 प्रतिशत से कम क्रेडिट पर अनुत्तीर्ण या शून्य सेमेस्टर होता है, जबकि नई व्यवस्था में यह बाध्यता समाप्त होगी। अभी स्नातक चतुर्थ वर्ष के लिए 7.5 सीजीपीए की बाध्यता रहती है। जबकि, नए अध्यादेश 14 (1) में सभी विद्यार्थियों के लिए चतुर्थ वर्ष ऑनर्स का विकल्प उपलब्ध रहेगा।
वर्तमान व्यवस्था में विद्यार्थियों को समस्त विषय एवं प्रवेशित संस्था में पढ़ने की अनिवार्यता रहती है, जबकि नए अध्यादेश में विद्यार्थियों के लिए प्रवेशित संस्था में विषय उपलब्ध ना होने की दशा में ऑनलाइन चुनने का प्रविधान रखा गया है। विद्यार्थियों के लिए श्रेणी सुधार का अवसर मिलेगा और भाषा का अध्ययन तीनों वर्षों में अनिवार्य होगा।