भोपाल। राजधानी में पिछले दो दशक से सीवेज और ड्रेनेज नेटवर्क को सुधारने की कवायद जारी है लेकिन हर बार तेज वर्षा में पूरे प्रयासों पर पानी फिर जाता है। नतीजतन शहर में जगह -जगह जलभराव के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस सिस्टम को सुधारने के लिए अब तक 20 वर्ष में लगभग एक हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन हालात सुधर नहीं पा रहे हैं।
इन क्षेत्रों में होता है जलभराव
शहर में तेज वर्षा के दौरान वीअाइपी रोड, संत हिरदाराम नगर से लालघाटी रोड, हमीदिया रोड, ओल्ड सैफिया कालेज रोड, भोपाल टाकीज, नादरा बस स्टैंड चौराहा, भारत टाकीज, अल्पना तिराहा, मेन रोड नंबर एक, भोपाल गेट, बाणगंगा चौराहा, ज्योति टाकीज चौराहा, व्यापमं चौराहा पर पानी जमा होता है। मिसरोद, जाटखेड़ी, बावड़िया कला, समरधा,इंडस गार्डन और आसपास की कालोनियों में जलभराव की स्थिति बनती है। पहले ऐसे हालात रेलवे स्टेशन के आसपास महामाई का बाग और आसपास की बस्तियों में बनते थे और नाव चलती थी लेकिन अव्यवस्था के कारण तेज वर्षा के कारण कई जगह यह स्थिति बन जाती है।
अल्पना तिराहा हर वर्ष हो जाता है जलमग्न
शहर के मुख्य भोपाल रेलवे स्टेशन के छह नंबर प्लेटफार्म तरफ जाने के मार्ग पर अल्पना तिराहा हर वर्षा में जलमग्न हो जाता है।पिछले वर्ष वर्षा के बाद सड़क का निर्माण किया गया था लेकिन इस बार हुई तेज वर्षा के कारण फिर से हालात ज्यों के त्यों हो गए हैं। अल्पना तिराहे पर गहरे गड्ढे के साथ ही सड़क उखड़ गई है और जलभराव की वजह से लोगाें का आना जाना मुश्किल हो जाता है।इसी तरह शहर में कराेंद मंडी के लिए जेपी नगर से जाने वाला 80 फीट रोड भी पूरी तरह से उखड़ गया है। यहां पर भी जलभराव होता है और लोगों काे परेशानी का सामना करना पड़ता है।
जल निकासी हो व्यवस्थित तो मिले छूटकारा
शहर में नर्मदापुरम रोड, मिसरोद, जाटखेड़ी, बावड़ियाकला, कोलार रोड, चूनाभट्टी, अवधपुरी में कालोनियां विकसित होती गई, लेकिन वर्षा के पानी की निकासी लायक नालियां नहीं बनाईं।साथ ही पुराने शहर में अल्पना तिराहा, भारत टाकीज, सिंधी कालोनी, भोपाल टाकीज सहित अन्य मार्गाें पर भी जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है। इस वजह से जलभराव होता है।यदि निकासी की व्यवस्था बेहतर हो तो जलभराव से छूटकारा मिल सकेगा।
सुयश कुलश्रेष्ठ,टाउन प्लानर
– शहर में कालोनियों का निर्माण मनमर्जी से किया जा रहा है। इन पर रोक लगाई जानी चाहिए और भूमि विकास नियम के अनुसार निर्माण होना चाहिए। नियमानुसार घर, सड़क से डेढ़ फीट ऊंचे होने चाहिए, लेकिन ऊंचाई कम होने से नई कालोनियों में भी जलभराव होता है।
मोहन मीना , प्रापर्टी सलाहकार
सबसे अधिक जलभराव वाले क्षेत्रों को वर्षा से पहले चिह्नित कर लिया गया था। इन सभी में नजर का अमला नजर बनाए रखता है। जहां भी जलभराव होता है वहां तत्काल रुकावट को दूर कर जल निकासी की जाती है। इस बार अधिक वर्षा हुई लेकिन निगम की व्यवस्था के कारण ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है।
हरेंद्र नारायन, आयुक्त, नगर निगम