नौ साल पहले हिरासत में हुई थी युवक की मौत, तत्कालीन जेलर, थाना प्रभारी समेत आठ पर हत्या का केस दर्ज करने का आदेश

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 भोपाल। राजधानी की एक अदालत ने वर्ष 2015 में पुलिस तथा जेल अभिरक्षा में मारपीट से हुई युवक की मौत पर तत्कालीन जेलर, थाना प्रभारी, डॉक्टर और क्राइम ब्रांच के पांच सिपाहियों पर हत्या, साजिश रचने, साक्ष्य छिपाने की धाराओं में एफआईआर के आदेश दिये है। इस मामले में मृतक युवक की मां ने न्यायालय में एक परिवाद दायर किया था।

इनके खिलाफ एफआईआर

मुदकमा दर्ज करने का आदेश शुक्रवार को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी आशीष मिश्रा के न्यायालय ने दिया। परिवाद में साक्षियों के कथन ,संलग्न दस्तावेज एवं जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपित मनीष राज भदौरिया (वर्तमान थाना प्रभारी मिसरोद) उप निरीक्षक डीएल यादव, एहसान, मुरली, दिनेश चिरोंजीलाल, तत्कालीन मनोरोग विशेषज्ञ हमीदिया अस्पताल डॉ. आरएन साहू, आलोक बाजपेई के विरुद्ध धारा 302, 120-बी, 201 भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

यह है मामला

मृतक मोहसिन की मां ने न्यायालय में एक निजी शिकायत दर्ज कराई थी। उसमें बताया गया कि जून 2015 को क्राइम ब्रांच भोपाल के सिपाही मुरली, दिनेश खजूरिया और चिरोंजीलाल पूछताछ के लिए मोहसिन को ले गए थे। स्वजन जब मोहसिन को छुड़वाने के लिए क्राइम ब्रांच थाने पहुंचे तो उनसे दो लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई। थाने में उसके साथ गंभीर मारपीट की गई और विद्युत करंट के झटके भी दिए गए। बेरहमी से मारपीट करने के बाद मोहसिन को टीटी नगर थाना के सुपुर्द कर दिया। वहां भी उसे करंट लगाकर प्रताड़ना दी गई। साथ ही रुपये ना मिलने पर झूठे प्रकरण में फंसाया गया और न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। 10 जून 2015 को सीजेएम कोर्ट ने मोहसिन को जेल भेज दिया। 23 जून 2015 की रात को फरियादिया को जानकारी मिली कि उसके पुत्र मोहसिन की मृत्यु हो गई है।

क्या है परिवाद में और क्या कहते हैं सबूत

टीटी नगर थाने में बतौर टीआई पदस्थ रहने के दौरान मनीषराज सिंह भदौरिया ने लूट के एक मामले में मोहसिन को फर्जी तरीके से आरोपी बनाया। घायल हालत में थाने में पहुंचे मोहसिन के साथ मारपीट की गई । जब उसे हमीदिया अस्पताल भेजा गया तो उसकी हालत गंभीर थी। अस्पताल के मनोरोग विभाग में पदस्थ रहे डा. आरएन साहू पर आरोप है कि उन्होंने केंद्रीय जेल भोपाल में बंद कैदी मोहसिन को मनोरोगी घोषित किया। जबकि वह मानसिक रूप से स्वस्थ था। उसे मनोरोगी बताकर ट्रीटमेंट के लिए घायल हालत में ग्वालियर स्थित जयारोग्य हॉस्पिटल रेफर किया गया।