भोपाल। किसी ने साइकिल से कश्मीर से कन्याकुमारी का सफर तय किया, तो किसी ने मनाली से लेह का तक का। तो कोई अपनी फिटनेस को बरकरार रखने के लिए रोजाना साइकिलिंग कर रहा है। कोई रोजाना 20 किलोमीटर की साइकिल राइड कर रहा है। अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से लोग कुछ समय साइकिलिंग के लिए भी निकाल रहे है। बच्चों से लेकर बड़े सभी को साइकिलिंग कर रहे हैं। विश्व साइकिल दिवस के अवसर पर शहर के साइकिलिस्ट से बातचीत की और जाना कि उन्होंने साइकिलिंग की शुरुआत कब से की और अभी तक कहा-कहा साइकिल राइड कर चुके है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सफर किया तय
साइकिलिस्ट वरुण नामदेव कहते हैं कि चार साल से साइकिलिंग कर रहा हूं। इस दौरान मैंने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की यात्रा साइकिल से की। उन्होंने बताया कि मौसम के अनुसार साइकिलिंग करते है, बारिश के मौसम में पहाड़ी जगहों पर ज्यादा राइड करते है। वहीं भोपाल से देवास, उज्जैन, रायसेन, गुना, विदिशा आदि जगहों पर साइकिल राइड कर चूका हूं। वरुण ने बताया कि रोजाना साइकिल से 10 से 15 किमी. की राइड करता रहता हूं। उन्होंने बताया कि साइकिल चलाने से सारे वर्कआउट हो जाते है।
हर संडे होती है साइकिल राइड
साइकिलिस्ट पूजा जोशी कहती है कि चार वर्ष पहले साइकिलिंग शुरू की। अब यह डेली रूटीन हो गया है। शुरूआत में 20 से 30 किमी की छोटी-छोटी साइकिल राइड करते थी। ग्रुप के साथ साइकिलिंग करने लगी। उन्होंने बताया कि 100 किमी. से लेकर 500 किमी की राइड कर चुकी हूं। 600 किमी की राइड के लिए तैयारी कर रही हूं। उन्होंने कहा कि भोपाल से रायसेन, भीमबेटका सहित आसपास की कई क्षेत्रों पर राइड की है। उन्होंने बताया की साइकिलिंग से फिजिकल फिटनेस भी करकरार रहती है। उन्होंने बताया कि अब हर रविवार को साइकिल राइड पर जाते है।
मनाली से लेह तक साइकिल अभियान में लिया हिस्सा
साइकिलिस्ट अक्षत अग्निहोत्री कहते हैं कि आठ साल से साइकिलिंग कर रहा हूं। मैंने मनाली से लेह तक की साइकिलिंग अभियान में हिस्सा लिया। हर हफ्ते में एक ट्रिप साइकिल से जरूर करता हूं। भोपाल से उज्जैन के साथ भोपाल के आसपास की क्षेत्रों पर राइड कर चुका हूं। उन्होंने कहा कि साइकिलिंग करने साथ फिटनेस भी बनी रहती है साथ ही पर्यावरण को भी हम सुरक्षित रखते है।