जहां मोबाइल नेटवर्क नहीं, वहां भी उत्साह ऐसा कि सुबह ही 63 प्रतिशत मतदान

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 भोपाल। राजधानी भोपाल की सीमा से सटा रायसेन जिला विदिशा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां रायसेन मुख्य कस्बा है तो सिलवानी जैसे दूर-दराज के हिस्से भी हैं, जहां बड़ी संख्या में आदिवासी निवास करते हैं। इसका एक हिस्सा रातापानी वन्य क्षेत्र के अंतर्गत भी आता है जो भोपाल शहर के कोलार उपनगर की सीमा से सटा हुआ है। कोलार जहां विकास की कुलांचे भर रहा है। 105 फीट चौढ़ी सिक्सलेन रोड हैं। दूर-दराज के क्षेत्रों तक नई कटती कालोनियां हैं, वहीं मात्र 20 किलोमीटर आगे ऐसे गांव भी हैं जहां अब तक मोबाइल नेटवर्क ही नहीं है। मतदान के दिन यहां रनर नजर आए जो हर तीन घंटे पर मतदान की जानकारी भेजने नेटवर्क वाली सीमा तक फेरा लगाते हैं। यहीं कई गांव ऐसे भी हैं, जहां मतदाता इतने कम हैं कि मतदान दल दोपहर होते-होते निश्चिंत बैठा नजर आया तो इसी क्षेत्र में एक गांव के आधे निवासियों ने भोपाल तो आधों ने विदिशा संसदीय क्षेत्र के लिए मतदान किया। अब देखना यह होगा कि मोबाइल नेटवर्क, स्कूल, सड़क के लिए यह किस सीमा वाले सांसद के दर पर जाएंगे और उन्हें वहां से क्या हासिल होगा।

रनर वाला केंद्र झिरी

कोलार से कोलार बांध जाने वाली सड़क के किनारे ही स्थित है झिरी। यह पौराणिक नदी बेतवा के उद्गम के लिए प्रसिद्ध है। दावे तो उद्गम स्थल को पर्यटन स्थल बनाने के किए गए, लेकिन आज तक तस्वीर बदली नहीं है। इसी झिरी के एकीकृत माध्यमिक शाला में बने मतदान केंद्र पर मिले रनर दौलत गुर्जर। दरअसल झिरी रातापानी वन्य क्षेत्र के अंदर आता है। यहां 604 मतदाता दर्ज हैं। जैसे-जैसे मतदान होते जा रहा था, रनर दौलत प्रत्येक तीन घंटे पर मतदान का आंकड़ा लेकर करीब एक किलोमीटर दूरी पर एक जगह जाते, जहां नेटवर्क मिल जाता है और वे वहां से मतदान का आंकड़ा रायसेन जिला मुख्यालय भेजते।

280 मतदाताओं का केंद्र, 12 बजे के पहले 63 प्रतिशत मतदान

रातापानी वन्य क्षेत्र में स्थित बहेड़ा टोला गांव में 280 मतदाता हैं, जिनमें से 40 ग्रामीण मजदूरी के लिए गुजरात गए हुए हैं। शेष मतदाता ऐसे ग्रामीण थे जो काम पर जाने के पहले ही मतदान की कतार में लग गए और तेजी से मतदान हुआ। यहां 10 बजे के बाद इक्का-दुक्का मतदाताओं के आने का क्रम जारी था। 11.30 बजे तक यहां 63 प्रतिशत मतदान हो गया था और मतदान दल के आधे से अधिक कर्मी आंगन में बैठकर भोजन कर रहे थे, यहीं मिला दिनेश जो वोट डालने के बाद आराम से कुर्सी पर बैठा सुस्ता रहा था, पूछने पर भोली मुस्कान के साथ बोला, देरी हो गई, भुनसारे ही जंगल में अचार बीनने चले गए थे। अब वोट डाल दिया है तो आराम कर रहे हैं….।

दो संसदीय क्षेत्रों वाला गांव

इसी क्षेत्र में आंवलीखेड़ा पंचायत के अंदर राबियाबाद गांव से लगा बावड़ीखेड़ा टोला ऐसा है जिसके आधे निवासी भोपाल संसदीय क्षेत्र तो विदिशा में मतदान करते हैं। दरअसल बावडीखेड़ा गांव आधा भोपाल तो आधा सीहोर के आष्टा में आता है। यहां करीब 70 मतदाता है, इनमें से आधे मतदान करने राबियाबाद, कठौतिया आए तो हैंडपंप की सीमा के उस पार रहने वाले आंवलीखेड़ा गए और विदिशा क्षेत्र के लिए वोट डाला, गांव सुनसान पड़ा था क्योंकि अधिकतर लोग यहां-वहां गए हुए थे।