मोदी, योगी, शाह के मस्तिष्क में आखिर चल क्या रहा है ये समझना है बहुत ही मुश्किल।

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मोदी, योगी, शाह के मस्तिष्क में क्या चल रहा है ये समझना बहुत ही है मुश्किल।
November 15, 2023 • INDIRA KHARE

अयोध्या के विकास से भारत की जनता का बहुत बड़ा भाग हो रहा गदगद

लगता है कि वोट भी मोदी के नाम पर नहीं बल्कि मिलेंगे श्री राम को।

हम अयोध्या श्री राम जन्म भूमि मंदिर के निर्माण कार्य की किस हद तक कल्पना कर सकते हैं जरा सोचिये। मगर यहाँ चल रहे निर्माण कार्य और निर्माण की अगली योजना को सुन पढ़कर तो आश्चर्य की कोई सीमा नहीं रही। सर्व विदित है कि अगले वर्ष 22 जनवरी को नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा प्रस्तावित है। उस दिन अयोध्या की भव्यता देखने योग्य होगी।

मीडिया से जानकारी ही उस दिन के अयोध्या को अद्भुत दिखा रहा है तो फिर उस दिन की रौनक और विकास की कल्पना कर लीजिये।
अभी विकास कार्यों में अयोध्या को आसपास के हर क्षेत्र से जोड़ने के प्रयास हो रहे हैं. जिनमे कि फोर लेन प्रमुख हैं. इनके धार्मिक नाम जैसे कि धर्म पथ, भक्ति पथ, लक्ष्मण पथ और जन्मभूमि पथ। इनमें अभी लक्ष्मण पथ का निर्माण शुरू होने वाला है। ये सभी पथ फोर लेन होने जा रहे हैं।

*मोदी, योगी, शाह के मस्तिष्क में क्या चल रहा है ये समझना* *बहुत मुश्किल है।*

पूरे देश के विकास पर एक नज़र डालें तो दिखलाई यही देता है कि भाजपा शासित राज्यों में भरपूर निर्माण कार्य चल रहा है।

जिसे विकास कहा जा रहा है। विकास के मायने यह हो गया कि,उदाहरण के लिए जैसे बड़े बड़े अस्पताल तो हैं परन्तु डॉक्टर की रिक्वायर्ड संख्या  नहीं।

मुग़ल कालीन विकास का जवाब है आज का विकास।

जानकारों की माने तो मुग़ल कालीन विकास का जवाब है आज का विकास। बड़ी बड़ी नई इमारतें जिनके नाम देना यहाँ ज़रूरी नहीं है,पर इतना तो कह सकते हैं कि चौड़ी लम्बी सड़के, फ्लाईओवर, रेलवेस्टेशन इत्यादि का होता विकास बता रहा है कि कर्ज़ा कितना है राज्यों पर और अर्थ शास्त्रीयों की सुने तो इसकी भरपाई पर्यटन और विदेशी इन्वेस्टमेंट से ही हो सकेगी।मतलब कि भविष्य के लिए आर्थिक  सीमा तय नहीं।

कुल मिला कर हम सिर्फ यह कहना चाहते हैं कि राम मंदिर का कार्य काफ़ी आराम से चला और बाकि सब तीव्र गति से आखिर ऐसा क्यों।कहीं ‘त्रिमूर्तीयों’ की मंशा ऐसी तो नहीं कि मंदिर निर्माण को जितना आराम से करेंगे उतने ही वर्ष सरकारें दोहराई जाएंगी क्योंकि राम मंदिर प्रादेशिक न रह कर राष्ट्रीय मुद्दा है, और राम मंदिर का इंतज़ार सब को है. इतना ही नहीं भारतीय वोटों का बहुत बड़ा भाग प्रधानमंत्री मोदी को नहीं भगवान श्री राम के लिए जाता है।