शाह से राहुल बजाज ने पूछा, लोगों को सरकार से सवाल करने की इजाजत क्यों नहीं है?

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मशूहर उद्योगपति राहुल बजाज ने शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से कहा कि देश में भय का माहौल बना हुआ है और लोग सरकार की आलोचना करने से घबराते हैं। राहुल की चिंता के बाद शाह ने कहा, आपके सवाल के बाद मुझे नहीं लगता है कि कोई कहेगा कि लोग डरते हैं।गृहमंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण व रेलमंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी वाले पैनल से एक कार्यक्रम में बजाज ने कहा कि आप अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन यदि हम आपकी खुली आलोचना करना चाहते हैं, तो यकीन नहीं कि आप उसे पसंद करेंगे। हो सकता है मैं गलत हूं, पर सभी यही महसूस कर रहे हैं।

बजाज ने पूछा, लोगों को सरकार से सवाल करने की इजाजत क्यों नहीं है? उन्होंने कहा कि लोगों को यूपीए सरकार की आलोचना की आजादी थी, लेकिन वर्तमान सत्ता ने डर व अनिश्चिता का माहौल बना रखा है। यूपीए-2 के कार्यकाल में हम किसी को भी कोस सकते थे।

जवाब में गृहमंत्री शाह ने कहा कि देश में किसी तरह के भय का माहौल नहीं है, किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। मोदी सरकार की मीडिया में लगातार आलोचना होती रहती है, लेकिन आप फिर भी कह रहे हैं कि ऐसा माहौल है तो हमें सुधारने के लिए काम करना होगा।

शाह ने कहा सरकार पारदर्शी तरीके से काम कर रही है। कोई आलोचना होती है तो उसके महत्व के आधार पर हम सुधार की कोशिश करते हैं।

प्रज्ञा के बयान का समर्थन नहीं

गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि सरकार और भारतीय जनता पार्टी अपनी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाथूराम गोडसे पर दिए गए बयान की कड़ी निंदा करती है।

शाह ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही प्रज्ञा के बयान की निंदा कर चुके हैं और पार्टी अपनी सांसद के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। उन्होंने कहा, न तो सरकार और न ही भाजपा इस बयान का समर्थन करते हैं। हम इसकी कड़ी आलोचना करते हैं।

परिवार संग कश्मीर जाएं उद्योगपति, खुद परखें हालात

शाह ने कश्मीर के हालात पर सवाल पूछे जाने पर कहा कि उद्योग जगत अपने परिवार के साथ खुद घाटी घूमकर आए और वहां के असली हालातों की परख खुद करे। उन्होंने कहा, देश के गृहमंत्री के तौर पर में आपसे अपील करता हूं कि कृपया कश्मीर घूमकर आइए।

आप खुद देखेंगे कि वहां हालात सामान्य हैं। घाटी में इंटरनेट पर पाबंदी हटाने की समयसीमा के बारे में पूछने पर गृह मंत्री ने कहा कि यह कानून व्यवस्था का मुद्दा है और इस पर स्थानीय प्रशासन ही निर्णय लेगा। उन्होंने आगे कहा, आज महज 630 लोग हिरासत में हैं और उनमें भी 112 राजनीतिक बंदी हैं।