SC के फैसले पहले ट्राइडेंट होटल पहुंचे अजित पवार, भूपेंद्र यादव भी होटल में देखे गए

0
78

नई दिल्‍ली/मुंबई : आज महाराष्‍ट्र (Maharashtra) की सियासत में बेहद अहम दिन है. राज्‍य में फ्लोर टेस्‍ट को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा सुनाए जाने वाले अहम फैसले से पहले एनसीपी (NCP) नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (Ajit Pawar) चर्चगेट स्थित अपने घर से सुबह-सुबह निकलते देखे गए. ये वहां से ट्राइडेंट होटल गए. इस होटल में पहले से बीजेपी की तरफ से महाराष्‍ट्र के प्रभारी भूपेंद्र यादव मौजूद थे. हालांकि उनके बीच कोई बैठक हुई या नहीं, इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.

जानकारी के अनुसार, सुबह अजीत पवार ट्राईडेट होटल के लिए अपने घर से निकले. इसके कुछ समय बाद ही ट्राइडेंट होटल के अंदर से आई तस्‍वीरों में वहां बीजेपी के महाराष्ट्र के प्रभारी भूपेन्द्र यादव कुछ वक्‍त पहले ही नाश्‍ता कर रहे थे. इन दोनों के बीच कोई मीटिंग हुई, या नहीं इस बारे में कोई जानकारी नही मिल सकी.

उल्‍लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल बीएस कोश्यारी द्वारा महाराष्ट्र में भाजपा-अजित पवार को सरकार बनाने के लिए दिए गए आमंत्रण मामले पर अपना आदेश मंगलवार सुबह 10.30 बजे के लिए सोमवार को सुरक्षित रख लिया था. इस तरह भाजपा-अजित पवार को कम से कम एक दिन की राहत मिल गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र पर फैसला मंगलवार सुबह 10.30 बजे सुनाया जाएगा. कोर्ट में सरकार की ओर से सॉलिसिटर तुषार मेहता पेश हुए थे. उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह "भाजपा को राकांपा विधायकों द्वारा दिया गया समर्थन का पत्र लेकर आए हैं, जिसके आधार पर राज्यपाल ने फैसला किया." मेहता ने कहा, "पत्र में साफ नजर आ रहा है कि अजित पवार ने राकांपा के 54 विधायकों के समर्थन वाला पत्र हस्ताक्षर के साथ राज्यपाल को सौंपा था."

उन्होंने आगे कहा, "अजीत पवार द्वारा 22 नवंबर को दिए गए पत्र के बाद ही देवेंद्र फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया था, इसके साथ ही पत्र में 11 स्वतंत्र और अन्य विधायकों का समर्थन पत्र भी संलग्न था."

288 सदस्यीय सदन में भाजपा के 105 विधायक हैं, वहीं राकांपा ने 54 सीटों पर जीत हासिल की थी. भाजपा ने दावा किया कि अन्य 11 स्वतंत्र विधायकों के समर्थन के बाद उनके पास 170 विधायकों की संख्या है. इसके साथ ही मेहता ने महाराष्ट्र के राज्यपाल बीएस कोश्यारी के फैसले की न्यायिक समीक्षा पर भी आपत्ति जताई.

मेहता ने आगे कहा, "इसके बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति को सूचना दी. जानकारी का हवाला देते हुए उन्होंने राष्ट्रपति से राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का अनुरोध किया था."

भाजपा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा था कि राज्यपाल ने उस पार्टी का पक्ष लिया, जिसके पास 170 विधायकों का समर्थन है. रोहतगी ने कहा कि अन्य दलों ने ऐसा कभी नहीं कहा कि समर्थन पत्र पर विधायकों के हस्ताक्षर फर्जी हैं.

वहीं, कांग्रेस की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि उनके पास 150 विधायकों के समर्थन वाला हलफनामा है. उन्होंने कोर्ट को सूचित किया कि भाजपा की शिवसेना के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया है, क्योंकि भाजपा, शिवसेना को किए अपने वादे से मुकर गई. वहीं, कांग्रेस और राकांपा की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि जो कुछ भी हुआ है, वह 'लोकतंत्र के साथ धोखाधड़ी' है. सिंघवी ने कहा, "राज्यपाल विधायकों के हस्ताक्षर पर बिना कवरिंग लेटर के भरोसा कैसे कर सकते हैं?"