शरद पवार और सुप्रिया सुले के शपथग्रहण समारोह में उपस्थित न होने के क्या हैं मायने

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महाराष्ट्र में चल रही राजनीति ने शनिवार को ऐसा उलटफेर किया जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। रातोंरात बाजी को अपने हक में पलटते हुए भाजपा ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर सरकार बना ली है। देवेंद्र फडणवीस ने आज सुबह राजभवन में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एनसीपी के अजित पवार को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। इसके साथ ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का राज्य की कमान संभालने का  सपना चकनाचूर हो गया।
महाराष्ट्र में नई सरकार के शपथग्रहण में एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सुप्रिया सुले की अनुपस्थिति राजनैतिक पंडितों को हैरान कर रही है। माना जा रहा है कि एनसीपी में अजित पवार गुट ने बगावत करते हुए भाजपा को सरकार गठन के लिए समर्थन दिया है। वहीं कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एनसीपी में शरद पवार की अनुमति के बिना कुछ भी नहीं हो सकता।

कुछ दिनों पहले ही शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शरद पवार के बारे में कहा था कि दादा की राजनीति को समझने के लिए 100 जन्म लेना पड़ेगा। हालांकि शिवसेना निश्चिंत थी कि उन्हें एनसीपी का समर्थन मिल रहा है। जब शरद पवार दिल्ली में पीएम मोदी से मिले तभी से यह कयास लगाए जाने लगे कि महाराष्ट्र की राजनीति करवट ले सकती है। हालांकि तब यह कहा गया था कि मुलाकात के पीछे महाराष्ट्र के किसानों की समस्याएं हैं।

महाराष्ट्र की मौजूदा विधानसभा स्थिति
महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटे हैं। जिसमें से भाजपा को 105, शिवसेना को 56, कांग्रेस को 44 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 54 सीटों पर जीत मिली है। इसके अलावा बहुजन विकास अघाड़ी के खाते में तीन सीटें गई हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमिन, प्रहर जनशक्ति पार्टी और समाजवादी पार्टी को दो-दो सीटों पर जीत हासिल हुई। वहीं राज्यभर से 13 निर्दलीय उम्मीदवारों को चुना गया है।