महाराष्ट्र सरकार पर कांग्रेस-NCP की एक और बैठक खत्म, नहीं निकला नतीजा

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नई दिल्ली,महाराष्ट्र सरकार गठन को लेकर बीते कई दिनों से प्रयास कर रहे शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस आज आगे बढ़ते दिखे हैं। दिल्ली में एनसीपी मुखिया शरद पवार के आवास पर मीटिंग के बाद कांग्रेस नेता और सूबे के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि हमारे बीच सकारात्मक बात हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने को लेकर बात हुई। कांग्रेस सीनियर लीडर ने कहा कि राज्य में बीते 20 दिनों से अस्थिरता है और सूबे को एक मजबूत सरकार की जरूरत है। हालांकि पृथ्वीराज चव्हाण ने शिवसेना के साथ गठबंधन पर सहमति को लेकर कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, 'महाराष्ट्र में चल रही अस्थिरता और सरकार गठन को लेकर कांग्रेस और एनसीपी के बीच लंबी बात हुई। अभी इस पर बात चल रही है। महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार चाहिए। बीते करीब 20 दिनों से राज्य में अस्थिरता चल रही है। अभी कुछ और बातें होनी हैं, जिस पर आज या कल तक में बात हो जाएगी।'
मौके पर मौजूद एनसीपी के नेता नवाब मलिक ने शिवसेना संग जाने की बात करते हुए कहा कि तीनों दलों के साथ आए बिना राज्य में स्थिर सरकार नहीं बन सकती है। इससे पहले संजय राउत ने शरद पवार के पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात को लेकर कहा था कि इस मीटिंग में कोई सरप्राइज की बात नहीं है। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि जल्दी ही अच्छी खबर मिलेगी।
वहीं, शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाएंगे. इस बैठक से पहले उन्होंने कहा कि गुरुवार दोपहर तक नई सरकार के गठन की तस्वीर साफ हो जाएगी. वहीं, एनसीपी के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी ने शिवसेना के साथ गठबंधन करने की मंजूरी दे दी है. सोनिया ने यह मंजूरी एनसीपी चीफ शरद पवार से मुलाकात के दौरान दिया. आज भी दोनों नेताओं के बीच बैठक होनी है.
कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं की बैठक महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक जारी सियासी रस्साकशी और बयानबाजी के बीच लगातार हो रही है. ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या हफ्तों से चल रही माथापच्ची के बाद दोनों दलों के नेता आपस में शिवसेना से हाथ मिलाने को लेकर पूरी तरह तैयार हो पाएंगे. इससे पहले एनसीपी और कांग्रेस के सामने आपसी मतभेद को भी सुलझाने की चुनौती है.
मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान
महाराष्ट्र में नई सरकार में कांग्रेस बराबरी का दर्जा चाहती है, जबकि उसका सहयोगी दल एनसीपी बड़े भाई की भूमिका में नजर आना चाहता है. एनसीपी अपने रोटेशनल मुख्यमंत्री की मांग पर अड़ी है यानी ढाई साल शिवसेना और ढाई साल एनसीपी को मिले सीएम का ताज मिले. इसके लिए उसको पहले कांग्रेस को मनाना होगा और फिर दोनों की तरफ से शिवसेना के सामने मांगें रखी जाएंगी. वही इसके बदले में एनसीपी कांग्रेस को उपमुख्यमंत्री का पद ऑफर कर सकती है.