सभी राज्यों को आवश्यकतानुसार अपनी खेल नीति बनाने की स्वतंत्रता दी जाए

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खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री जीतू पटवारी ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया है कि राज्यों को उनकी अपनी आवश्यकतानुसार नीति बनाये जाने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा खेल अधोसंरचना के लिए राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के मापदंड भी सब के लिये एक जैसे नहीं होने चाहिए। श्री पटवारी ने आज नई दिल्ली में राज्यों के खेल एवं युवा कल्याण मंत्रियों के सम्मेलन में यह विचार व्यक्त किये। केन्द्रीय खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री किरण रिजिजू ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। 

मंत्री श्री पटवारी ने केन्द्र सरकार से खेलों के लिए बजट बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि खेलों के लिए उपलब्ध बजट आवश्यकता की 10 प्रतिशत पूर्ति भी नहीं करता है। उन्होंने कहा कि बजट और सकारात्मक मानसिकता से ही पूरा वातावरण बनता है, जिससे कि अनुकूल नतीजे भी प्राप्त होते हैं। श्री पटवारी ने प्रत्येक राज्य में स्पोर्ट्स स्कूल खोलने और खेलों का व्यवसायीकरण करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। खिलाड़ियों को शासकीय नौकरियों में आरक्षण को अनिवार्य किये जाने की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे खिलाड़ियों का भविष्य और नौकरी सुरक्षित होने से वे खेल को अपना व्यवसाय बना सकते हैं। श्री पटवारी ने नेशनल गेम्स का बैकलॉग खत्म करने और चार साल के स्थान पर दो साल में राष्ट्रीय खेल कराने की नीति बनाने का सुझाव दिया। साथ ही, निजी सहभागिता से खेलों को बढ़ावा देने और कॉर्पोरेट सोशल रिन्सपोन्सबिलिटी (CSR) 80 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने की मांग की। 

मध्यप्रदेश में खेलों के विकास के लिए किये जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए मंत्री श्री जीतू पटवारी ने बताया कि मध्यप्रदेश की खेल नीति देश के प्रथम तीन राज्यों में गिनी जाती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष से मध्यप्रदेश में ओलम्पिक खेलों की शुरूआत की गई है। इसके अलावा, प्रदेश की शूटिंग और घुड़सवारी अकादमी देश में पहले स्थान पर है। देश की हॉकी टीम में 30 प्रतिशत भागीदारी मध्यप्रदेश की है।