राफेल का रास्ता साफ, जानें भारतीय वायुसेना के लिए कितना जरूरी है यह लड़ाकू विमान

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 नई दिल्ली,सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील की जांच की मांग वाली पुनर्विचार याचिका खारिज करके यह रास्ता सरकार के लिए और आसान कर दिया है। राफेल डील का मामला विपक्ष के लिए अहम रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राहलु गांधी ने इसकी संसदीय समिति द्वारा जांच कराए जाने की मांग की है। आरोप-प्रत्यारो के बीच यह बात भी विचार करने योग्य है कि भारतीय वायुसेना को राफेल जैसे विमानों की सख्त जरूरत है। मिग-21 जैसे विमान अब काफी पुराने हो गए हैं और अकसर क्रैश हो जाते हैं। ऐसे में दुर्घटनाओं को रोकने और सेना की ताकत बढ़ाने की दृष्टि से राफेल विमान आवश्यक हैं। राफेल डील के तरत पहला जेट भारत को अक्टूबर में मिल गया है।
 मिग-21 और मिग-27 आउटडेटेड
इस साल के आखिरी तक मिग-21 और मिग-27 विमान आउटडेटेड हो जाएंगे। ऐसे में वायुसेना को नए विमानों की जरूरत है। अभी भारतीय वायुसेना की शक्ति 31स्क्वॉड्रन की है जिसे और बढ़ाने की जरूरत है। भारत को पर्याप्त वायुबल हासिल करने के लिए कम से कम 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है। एक स्क्वॉड्रन में एक से दो दर्जन विमान होते हैं।
 अडवॉन्स तकनीक की जरूरत
पुराने विमानों में तकनीक भी सीमित है और इसे ज्यादा संशोधित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में अब देश को फिफ्थ जेनरेशन के विमानों की जरूरत है। पाकिस्तान ने भी अमेरिका से एफ-16 विमान हासिल कर लिए हैं जो कि आधुनिक तकनीक से लैस हैं। दोनों देशों में लगातार तनाव के लिहाज से भी भारत को राफेल की जरूरत है।
2007 से चल रही प्रक्रिया
राफेल विमान के सौदे का मामला यूपीए सरकार के दौर से ही चल रहा है। यानी कहा जा सकता है कि 12 साल से वायुसेना ऐसे विमान का इंतजार कर रही है लेकन राजनीतिक गलियारों में यह विवाद का विषय बनकर रह गया। साल 2007 में यूपीए सरकार ने ऐसे विमानों के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया था। छह कंपनियों ने इसके टेंडर भरे थे। डील को लेकर पहली बार बात दसॉल्ट एविएशन के साथ शुरू हुई। 2014 में देश की सत्ता एनडीए सरकार के पास आ गई। 2016 में पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के कार्यकला में इंटर गवर्नमेंटल अग्रीमेंट हुआ। 2015 में मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के 126 विमान वाले कॉन्ट्रैक्ट को वापस ले लिया और 36 विमानों की डील की।
राफेल की खासियत
राफेल मल्टीरोल फाइटर विमान हैं जो कि हवा से जमीन पर परमाणु हमला करने में सक्षम हैं। राफेल की मारक क्षमता 3700 किलोमीटर है। यह 2230 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। साथ ही यह अत्याधुनिक हथियारों से भी लैस रहेगा। ये फाइटर जेट 24,500 किलोग्राम तक वजन के साथ उड़ान भर सकते हैं और परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम हैं।
हाल ही में भारतीय वायुसेना में अपाचे और चिनूक हेलिकॉप्टर को भी शामिल किया गया है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में सुखोई-30 एमकेआई, मिराज 2000, मिग-29, मिग 27, मिग-21 और जगुआर फाइटर प्लेन है जबकि हेलिकॉप्टर श्रेणी में एमआई-25/35, एमआई-26, एमआई-17, चेतक और चीता हेलिकॉप्टर हैं वहीं ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट में सी-130 जे, सी-17 ग्लोबमास्टर, आईएल-76, एए-32 और बोइंग 737 जैसे प्लेन शामिल हैं।