बचपन से ही मिलें ऊर्जा संरक्षण के संस्कार: राज्यपाल टंडन

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राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने कहा है कि नए भारत के निर्माण के लिए जरूरी है कि हम हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने कहा कि ऊर्जा  की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है। इसलिये बच्चों को बचपन से ही ऊर्जा संरक्षण के संस्कार दिये जाएं। श्री टंडन बाल दिवस पर समन्वय भवन में आयोजित राज्य स्तरीय चित्रकला प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। नर्मदा हाइड्रो इलेक्ट्रिक डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में राज्यपाल ने विजेताओं को पुरस्कार और दस-दस प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किए।

  राज्यपाल श्री टंडन ने कहा कि "एक भारत-श्रेष्ठ भारत" मिशन को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि मांग और उत्पादन में संतुलन हो। उत्पादन में वृद्धि, उपयोग में संयम और वितरण में समानता हो। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण समय की आवश्यकता है। इसके लिए समाज में जन-जागृति लाना जरूरी है। उन्होंने एनएचडीसी द्वारा इस दिशा में किये गये प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि स्कूली बच्चों के बीच ऊर्जा संरक्षण विषय पर चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन एक सार्थक पहल है। बच्चों में ऊर्जा की बचत के संस्कार होने से उनके परिजनों में भी ऊर्जा संरक्षण के प्रति चेतना का विकास होगा।

एनएचडीसी के प्रबंध निर्देशक श्री ए.के. मिश्रा ने बताया कि केन्द्रीय विद्युत मंत्रालय के ऊर्जा संरक्षण राष्ट्रीय अभियान 2019 के अन्तर्गत एनएचडीसी द्वारा प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। इस प्रतियोगिता में प्रदेश के 69 हजार 250 स्कूलों के 11 लाख 81 हजार बच्चे शामिल हुए हैं। दो श्रेणियों में आयोजित प्रतियोगिता में दोनों श्रेणियों में 50-50 बच्चों का चयन कर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रथम पुरस्कार विजेता को 50 हजार, द्वितीय को 30 हजार और तृतीय को 20 हजार रूपये एवं प्रशस्ति-पत्र से पुरस्कृत किया गया है। विजेता आगामी 12 दिसम्बर को राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता में भागीदारी करेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुख्य महाप्रबंधक श्री अशोक कुमार ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर कक्षा 4थी से 6वीं तक की प्रथम श्रेणी में वेदिका जैन को प्रथम, कनक गोयल को द्वितीय और वंशिका सिसोदिया को तृतीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया। श्रेणी दो में कक्षा 7वीं से लेकर 9वीं तक के विद्यार्थियों में प्रथम पुरस्कार भविष्य आचार्य, द्वित्तीय पुरस्कार शुभंकर कुमार और तृतीय पुरस्कार आर्यंशी को प्रदान किया गया। सांत्वना पुरस्कार के रूप में दोनों श्रेणियों के दस-दस प्रतिभागियों को 7500-7500 रूपये एवं प्रशस्ति-पत्र से पुरस्कृत किया गया।