कर्नाटक के 17 अयोग्‍य घोषित विधायकों को सुप्रीम कोर्ट ने दी उप-चुनाव लड़ने की इजाजत

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नई दिल्‍ली । कर्नाटक में कांग्रेस व जनता दल सेक्यूलर (जेडीएस) के 17 अयोग्‍य घोषित किए गए विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुना द‍िया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर द्वारा कांग्रेस व जेडीएस के 17 अयोग्‍य विधायकों को अयोग्‍य करार द‍िए जाने के फैसले को सही ठहराया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि 17 अयोग्‍य विधायक उपचुनाव लड़ सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि स्पीकर को यह शक्ति नहीं है कि विधायकों को उपचुनाव लड़ने से रोक सके। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि विधायकों को अयोग्य करार देने का फैसला सही तो है, लेकिन उन्‍हें 2023 तक अयोग्य करार देना गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि हाल के दिनों में इस तरह की प्रवृत्ति बढ़ गई है कि स्पीकर संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी करने लगे हैं। लोग स्थाई सरकार से वंचित किए जा रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा के तत्‍कालीन स्पीकर रमेश कुमार की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता के रास्ते में राजनीतिक नैतिकता नहीं आनी चाहिए।
17 अयोग्य घोषित किए गए विधायकों ने कर्नाटक विधानसभा के पूर्व स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 25 अक्टूबर को सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा लिया था। इससे पहले जेडीएस की ओर पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा था कि स्पीकर को इस्तीफे की पेशकश पर गहराई से परीक्षण करना होता है। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा था कि यह मामला बेहद महत्वपूर्ण है, अब तक किसी अदालत ने इस मसले पर परीक्षण नहीं किया। उन्होंने इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की अपील की थी। विधानसभा के मौजूदा स्पीकर की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष पूर्व विधानसभा स्पीकर द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के निर्णय पर पुनर्विचार करने का प्रस्ताव दिया था। 
पूर्व स्पीकर ने गलत तरीके से विधायकों के इस्तीफे को अस्वीकार कर दिया और विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। वहीं अयोग्‍य विधायकों की ओर से कहा गया था कि पूर्व स्पीकर ने इस बात का परीक्षण नहीं किया कि विधायक स्वेच्छा से बिना किसी बाहरी दबाव के इस्तीफा दे रहे हैं। स्पीकर ने इन सभी को अयोग्य घोषित करार दिया था।