स्नेह और सौहार्द के नाम पर अदूरदर्शी उदारता ज्यादा हानिकारक : पं. शास्त्री 

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इन्दौर । हिंदू वैदिक धर्मावलंबी सभी लोगों का भला चाहते हैं। हमने कभी किसी पर स्वयं हो कर आक्रमण नहीं किया, यह ऐतिहासिक सच्चाई है लेकिन अतीत में देखें तो विदेशी विचारधाराओं ने हमारे देश पर बर्बरतापूर्ण आक्रमण कर हमारी संस्कृति और शिक्षा पद्धति को ध्वस्त करने के अमानवीय प्रकल्प चलाए हैं। पिछले एक हजार वर्षों का इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा हैं। अब अपनी अस्मिता और आदर्श की रक्षा के लिए हिंदू समाज को संगठित और कटिबद्ध होना चाहिए। भागवत महापुराण भी यहीं कहता है कि स्नेह और सौहार्द के नाम पर अदूरदर्शी उदारता ज्यादा हानिकारक हो सकती है।  
ये विचार हैं धर्मसभा-विद्वत संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वेदमूर्ति ब्रम्हचारी निरंजनानंद श्री धनंजय शास्त्री वैद्य के, जो उन्होने आज साऊथ तुकोगंज स्थित नाथ मंदिर पर चल रहे मराठी भागवत सप्ताह के अंतर्गत विभिन्न प्रसंगों के दौरान व्यक्त किए। जीवन के चार पुरूषार्थों, वामन अवतार एवं अन्य प्रसंगों की भी प्रभावी व्याख्या की। शास्त्रीजी ने अयोध्या मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय पर श्रोताओं के सवालों के उत्तर देते हुए  कहा कि यह निर्णय वर्तमान हालातों को देख कर दिया गया है। खेद की बात है कि न्यायलय ने उन लोगों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है जिन्होने हमारी राम जन्मभूमि एवं पवित्र स्थानों को लांछित करने या कब्जाने के दुष्प्रयास किए हैं। इस फैसले पर क्षणिक आनंदित हो कर भाव विभोर होने का यह समय नहीं है, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं से सबक ले भविष्य को सुरक्षित रखने की और ध्यान देने की जरूरत है। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि भविष्य में हिंदू मान बिंदुओं  के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की गुजाईश नहीं रहे।
कथा शुभारंभ के पूर्व नासिक से पधारी माधवनाथ मंदिर की व्यवस्थापक माई जोशी एवं श्रीमती जयश्री कुलकर्णी तथा उत्सव प्रमुख मनीष ओक ने शास्त्रीजी का स्वागत किया। नाथ मंदिर पर शास्त्रीजी प्रतिदिन सांय 5 से 8 बजे तक भागवत कथामृत की वर्षा कर रहे हैं। प्रातःकालीन सत्र में सुबह 8 से 10 बजे तक माधवनाथ महाराज के अनुयायियों द्वारा माधवनाथ दीप-प्रकाशग्रंथ का सात दिवसीय पारायण भी हो रहा है। मंगलवार 12 नवंबर को सुबह सत्यनारायण कथा, होम हवन एवं महाप्रसादी के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।