यहां लगता है आदिवासियों का अनोखा मेला, साथी को पान खिला बन जाते हैं जीवनसाथी

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हरदा. विवाह की कई परंपराओं और रिवाजों (Marriage Tradition) के बारे में आपने पढ़ा-सुना होगा या देखा होगा. लेकिन मध्य प्रदेश के हरदा (Harda) जिले में स्थित आदिवासी अंचल में विवाह का जो तरीका आज भी चलन में है, उसके बारे में शायद ही सुना हो! हरदा के आदिवासी अंचल में रहने वाले युवक-युवती (Tribal youth) अनोखे तरीके से अपनी शादी की रस्म (Marriage Ritual) निभाते हैं. जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर आदिवासी अंचल में स्थित मोरगढ़ी गांव में हर साल दिवाली के एक सप्ताह बाद एक अनोखा मेला लगता है. इसमें बड़ी तादाद में आदिवासी युवक-युवती शामिल होते हैं. ठठिया बाजार नामक इसी मेले में ये युवक और युवती अपने जीवनसाथी का चुनाव करते हैं. इसके लिए युवक और युवती एक-दूसरे को पान खिलाते हैं. अपने पसंद का साथी चुनने के बाद पान (betel) खिलाते ही दोनों एक-दूसरे के जीवनसाथी बन जाते हैं. मोरगढ़ी गांव में वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है. रविवार को भी गांव में यह मेला लगा और कई युवक-युवतियों ने एक-दूसरे को पान खिला जीवनसाथी चुना.

रंग-बिरंगे परिधानों में मेले में आए आदिवासी

जिले के खिरकिया ब्लॉक के आदिवासी गांव मोरगढ़ी में रविवार को ठठिया बाजार मेले में आदिवासी समाज की कोरकू और गोंड जनजाति के युवक-युवती शामिल हुए. रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-संवरी युवतियां और पारंपरिक धोती-कुर्ता के बजाये पैंट-शर्ट में आए युवकों ने पहले तो जी भरकर मेले का आनंद उठाया और बाद में अपने जीवनसाथी का चुनाव किया. मेले में कई आदिवासी समूह पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ नाचते-गाते आए. दिन ढलने के साथ ही जीवनसाथी चुनने का सिलसिला शुरू हुआ. आदिवासी समाज के कई युवक और युवतियों ने अपनी पसंद का साथी चुना और उसे पान खिलाया. युवक और युवती के एक-दूसरे को पान खिलाते ही उनकी शादी की घोषणा कर दी जाती थी और दोनों एक साथ अपने घर को रवाना हो जाते. लड़की के परिवारवालों को इसके बाद बेटी की शादी की सूचना भिजवा दी जाती है.

पान खिलाकर साथ रहने की कसम खाई

ठठिया बाजार मेले में आए युवक गिरीश ने भी रविवार को अपनी पसंद की युवती का चुनाव किया. गिरीश ने बताया कि वह रवांग ढाना का रहने वाला है. मेले में उसने अपने साथी को पान खिलाया और प्रेम का इजहार किया. मेले में आई आदिवासी युवती पूजा ने बताया कि आज उसके पसंद के साथी ने उसे पान खिलाया है और अब वह उसके साथ जीवन भर रहेंगी. इस अनोखी परंपरा के बारे में गांव के बुजुर्ग धनकिशोर कलम ने बताया कि ठठिया बाजार आदिवासी जनजातियों की परंपरा है. दीपावली के बाद आदिवासी अंचल में सबसे पहले लगने वाले बाजार को ठठिया बाजार कहते हैं. हरदा के पास के खंडवा जिले के आदिवासी गांवों में भी यह मेला लगता है.

पान खिलाने के बाद युवती जाती है युवक के घर

आदिवासी मान्यता के अनुसार बाजार में आई युवती अपनी पसंद के युवक से प्रेम का इजहार करती है. फिर दोनों एक-दूसरे को पान खिलाते हैं. इसके बाद बाजार से ही जीवनसाथी बने आदिवासी युवक-युवती घर चले जाते हैं. लड़की के परिवारवालों को बाद में खबर भेजी जाती है कि वे अपनी बेटी की खोजबीन न करें. इसके बाद दोनों परिवार शादी पर सहमति जताते हैं. आदिवासियों की जीवनशैली और उनकी संस्कृति पर अध्ययन करने वाले जनजाति संस्कृति के अध्येता प्रो. धर्मेंद्र पारे ने बताया कि आदिवासी समाज में पान, प्रणय का प्रतीक माना जाता है. मूलतः यह परंपरा भील आदिवासियों में प्रचलित थी. लेकिन गोंड और कोरकू जनजाति में भी पान खिलाकर प्रेम निवेदन करने के दृश्य देखने को मिल जाते हैं.