सत्य कभी नष्ट नहीं होता, असत्य की कोई सत्ता नहीं होती 

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इन्दौर । यह संसार परमात्मा की ऐसी रचना है जिसमें कोई विकृति नहीं हो सकती। हम व्यर्थ ही जगत को प्रपंच मान रहे हैं। विकृति है तो हमारे सोच और चिंतन में  ही है। जिस दिन हमारा मन वृंदावन बन जाएगा, ये विकृतियां स्वयं भाग जाएगीं क्योंकि तब वहां साक्षात प्रभु आकर सुकृति स्वरूप में बैठ जाएंगे। अपने मोह को मोहन और वासनाओं को वासुदेव को सौंप दें, संसार से सुंदर कोई और नजर ही नहीं आएगा। भागवत भी धर्म है, जो हमें अपने सत्य स्वरूप से साक्षात्कार कराता है। सत्य कभी नष्ट नहीं होता और असत्य की कोई सत्ता नहीं होती। भगवान की तरह उनकी लीलाएं भी सदैव शाष्वत हैं।  
कोलकाता के युवा भागवत मनीषी और मात्र 22 वर्ष की उम्र में देश के विभिन्न नगरों में अब तक 61 भागवत कथाएं करने का कीर्तिमान रचने वाले श्रीकृष्णानुरागी पं. शिवम विष्णु पाठक ने कनाडि़या रोड, वैभव नगर स्थित रिवाज गार्डन पर भागवत ज्ञानयज्ञ सप्ताह में उक्त प्रेरक विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से वेदप्रकाश अग्रवाल, सतीश मित्तल, सुनील मित्तल, संदीप अग्रवाल एवं अजय मित्तल आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। वे यहां 9 नवंबर तक प्रतिदिन दोपहर 3 से सांय 7 बजे तक अपने श्रीमुख से भागवत कथामृत की वर्षा करेंगे। इस दौरान श्रीकृष्ण जन्म, रूक्मणी विवाह एवं सुदामा चरित्र जैसे प्रसंगों का जीवंत मंचन भी होगा। सोमवार 4 नवंबर को ध्रुव चरित्र, प्रहलाद चरित्र, नरसिंह अवतार, समुद्र मंथन एवं वामन अवतार प्रसंगों की कथा होगी। गोपाष्टमी पर विशेष प्रसंग भी मनाया जाएगा।
पं. पाठक ने सबसे पहले चतुश्लोकी भागवत का गायन किया, फिर कपिल-देवहुति संवाद की व्याख्या की और 24 अवतारों का वर्णन करते हुए कहा कि भागवत श्रवण के लिए देवता भी तरसते हैं। कथा श्रवण का अधिकारी वही होगा जो श्रद्धा-भक्ति से भरपूर हो। जिस राष्ट्र में बेटियों की सुरक्षा नहीं होती, वह राष्ट्र कभी उन्नति नहीं कर सकता। कन्या भ्रूण हत्या करने वाला जघन्य अपराधी माना जाना चाहिए। पुत्र का जन्म हमारे भाग्य से होता हैं लेकिन कन्या का जन्म जन्मांतर के पुण्योदय और सौभाग्य से होता है। भगवान गृह नक्षत्र या तिथि-मुहूर्त नहीं देखते, उनके पास तो कृपा वृष्टि करने का कारण न हो तो भी भक्तों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इस श्रवण की धन्यता तभी है जब हम अपने मन को वृंदावन बना लें। ’अहम ब्रम्हास्मि’ के बजाय हमारा भाव ’दासोअहम’ का होना चाहिए। भगवान परमसत्य माने गए हैं। सत्य कभी नष्ट नहीं होता और असत्य की कोई सत्ता नहीं होती। भगवान की तरह उनकी लीलाएं भी सदैव शाश्वत हैं। भगवान से सौदागरी करने या ’गिव एंड टेक’ का रिश्ता रखने वाला भक्त नहीं हो सकता। धर्म स्वयं के कल्याण के लिए नहीं, परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए भी होना चाहिए। भागवत धर्म व्यक्ति को निश्छल-निष्कपट जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
:: डॉ. राहत इन्दौरी से मुलाकात :: 
पं. शुभम विष्णु पाठक ने प्रसिद्ध शायर एवं साहित्यकार डॉ. राहत इन्दौरी से उनके निवास पर जा कर मुलाकात की तथा उनके स्वास्थ की जानकारी प्राप्त कर शीघ्र स्वस्थ होने की मंगल कामनाएं व्यक्त की। डॉ. राहत इन्दौरी ने पं. पाठक का आत्मीय स्वागत किया।