राज्यपाल श्री लालजी टंडन ने राजभवन में आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय जबलपुर की समीक्षा करते हुएकहा कि मेडिकल कॉलेजों में गुणवत्ता के उच्च मापदंडों का निर्धारण किया जाये ताकि छात्र चिकित्सकीय छात्र-छात्राओं को स्वच्छता, अनुशासन, सेवा और समर्पण के सैद्धांतिक ज्ञान का व्यवहारिक अनुभव हो सके। उन्होंने चिकित्सा विश्वविद्यालय को नये वर्ष में नई सोच के साथ कार्य करने के निर्देश दिये।
राज्यपाल ने कहा कि आयुर्विज्ञान कॉलेज की गुणवत्ता की मानीटरिंग का कार्य जवाबदारी के साथ किया जाए। चिकित्सा की विभिन्न पद्धतियों का समग्र और एकीकृत रूप में वैज्ञानिक आधार पर परीक्षण कराया जाए। इससे चिकित्सा के क्षेत्र की अनेक समस्याओं और व्यवहारिक कठिनाईयों का समाधान होगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ते बाजारवाद से होने वाले दुष्परिणामों पर भी रोक लगेगी और आमजन को राहत प्राप्त होगी। साथ ही लोगों तक प्रमाणिक चिकित्सा की पहुँच बढे़गी।
श्री लालजी टंडन ने कहा कि मेडिकल कॉलेज की रोजमर्रा की अधिकांश समस्याओं का समाधान स्वच्छ शौचालय, पेयजल उपलब्धता, कचरा निष्पादन, हरा-भरा परिसर आदि मूलभूत कार्यों की गुणवत्ता से हो सकता है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में अभियान चलाकर उपलब्ध सुविधाओं और सेवाओं का सर्वेक्षण करवाने के निर्देश दिए और इसकी नियमित मानीटरिंग की जरूरत भी बताई। राज्यपाल ने कहा कि पीड़ित मानवता की सेवा के महान कार्य में संलग्न मेडिकल कॉलेज को उनका पूरा संरक्षण और सहयोग मिलेगा। कार्यों का संचालन जवाबदारी के साथ हो। शैक्षणिक केलेंडर का अक्षरक्ष: पालन हो। परीक्षा परिणाम समय पर घोषित हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कार्य में विलंब, विद्यार्थी के प्रति अन्याय का प्रतीक माना जायेगा।
प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि राज्यपाल के निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जायेगा। प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों की व्यवस्थाओं का सर्वेक्षण अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान द्वारा करवाया जायेगा। कार्य के मानदंड निर्धारित कर कार्य का मूल्यांकन भी कराया जाएगा। प्रदेश में पहली बार होम्योपैथिक और समानान्तर स्वास्थ्य सेवाओं में फैलोशिप और वर्ष 2019-20 में पी.एचडी. पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।
बैठक में राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे और आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर.एस.शर्मा उपस्थित थे।