नई दिल्ली । देश के 47 वें प्रधान न्यायाधीश के रुप में सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ जज जस्टिस शरद अरविंद बोबडे 18 नवंबर को शपथ लेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। जस्टिस बोबड़े का कार्यकाल 23 अप्रैल 2021 तक रहेगा। जस्टिस बोबडे अयोध्या टाइटल विवाद समेत कई महत्वपूर्ण पीठों के सदस्य रहे हैं। वह बीसीसीआई सुधार मामले की सुनवाई करने वाली पीठ की भी अगुवाई कर रहे हैं। साल 2018 में उन्होंने कर्नाटक राजनीतिक विवाद पर रातभर कांग्रेस व जेडीएस की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसके बाद वहां दोबारा सरकार बन गई।
जस्टिस बोबडे निजता के अधिकार के लिए गठित संविधान पीठ में शामिल रहे और वह आधार को लेकर उस बेंच में भी रहे जिसने कहा था कि जिन लोगों के पास आधार नहीं है उन्हें सुविधाओं से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस बोबडे ने 1978 में नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र में नामांकन कराया। उन्होंने 21 साल तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की और सुप्रीम कोर्ट में भी पेश हुए। उन्हें 1998 में वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया और बाद में मार्च, 2000 में बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। अप्रैल, 2013 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और वह 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत्त होंगे। वह वर्तमान में देश के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और मुंबई और नागपुर दोनों परिसरों में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के चांसलर के रूप में भी कार्य कर रहे हैं।