29 अक्टूबर को विधान परिषद के अफसरों की बैठक

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भोपाल
कांग्रेस सरकार प्रदेश में विधान परिषद का गठन करना चाहती है लेकिन सरकारी महकमें इसके गठन को लेकर गंभीर नहीं है। संसदीय कार्य विभाग ने सभी विभागों से इसको लेकर जानकारी बुलाई थी लेकिन केवल दो विभागों ने ही इसमें अपना अभिमत भेजा है। इसके बाद अब मुख्य सचिव ने विभागों का अभिमत लेने के लिए 29 अक्टूबर को सारे विभागों के अफसरों की बैठक बुलाई है। विभागों की राय मिलने के बाद संसदीय कार्य विभाग प्रस्ताव तैयार करेगा और फिर इसके लिए विधानसभा में संकल्प लाया जाएगा। संकल्प पारित होंने के बाद ही विधान परिषद का गठन हो पाएगा। कांग्रेस सरकार ने अपने वचन पत्र में घोषणा की थी कि वह विधान परिषद का गठन करेगी।

संसदीय कार्य विभाग ने डेढ़ महीने पहले इसके लिए सभी विभागों से उनका अभिमत मांगा था लेकिन केवल विधि और उच्च शिक्षा विभाग ने अपना अभिमत भेजा। अन्य कुछ विभागों ने भी अभिमत भेजा था लेकिन संसदीय कार्य विभाग ने उसमें कुछ और जानकारियां विभागों से मांगी थी जो अब तक नहीं आई है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में मुख्य सचिव एसआर मोहंती से इस बारे में चर्चा की तो पता चला कि इस पर विभाग जानकारी नहीं दे रहे है। इस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई है। इसके बाद अब मुख्य सचिव स्वयं इसकी मानीटरिंग कर रहे है और उन्होंने दीपावली के बाद सभी विभागों की बैठक बुलाई है। सभी अधिकारियों से विधान परिषद के गठन और उसके प्रभाव तथा विभाग की भूमिका को लेकर जानकारी के साथ बैठक में आने को कहा गया है।

विधानसभा में इस समय 230 सदस्य है। इसका एक तिहाई सदस्यों का विधान परिषद होगा। इसमें पंचायत और नगरीय निकायों के चुने हुए प्रतिनिधि, शिक्षकों का प्रतिनिधि,वकीलों का प्रतिनिधि और विधायकों द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा।