बच्चों को आतिशबाजी और पटाखे के कारण दीपावली का साल भर से इंतजार रहता है। पटाखे जलाने के दौरान बच्चों को जो खुशी मिलती है उसका कहना ही क्या। इस दौरा उनके साथ बड़े भी शामिल हो जाते हैं। उमंग और उत्साह के इस पर्व के दौरान सावधानी रखनी भी जरुरी है क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है। इसलिए पटाखे जलाने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखें और और सुरक्षित दीपावली मनाएं। इन दिनों की जा रही रौशनी के पहले बल्ब और तार को ठीक से जांचे-परखे लें। इनसे बच्चों को करेंट लगने का खतरा रहता है।
पटाखे खरीदते समय हमेशा क्वॉलिटी का ध्यान रखें। सामान्य पटाखे की जगह ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल कर सकते है। दिवाली से पहले केंद्र सरकार द्वारा इन्हें जारी किया गया है, इसमें अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी आदि शामिल है। सरकार का दावा है कि यह पटाखे सामान्य पटाखों के मुकाबले 30 फीसदी कम प्रदूषण करेंगे। इसी के साथ इनकी आवाज भी कम होगी। जिससे बच्चों व बुजुर्गों को कम हानि होगी हालांकि यह पटाखे भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं।
घर में पटाखे ऐसी जगह पर रखें, जो बच्चों की पहुंच से दूर हों।
ऊपर की मंजिल पर रहने वाले बच्चों को भूलकर भी बालकनी से नीचे पटाखे जलाकर नहीं फेंकने चाहिए। वाहनों पर जलते पटाखे फेंकने जैसा मजाक भी नहीं करना चाहिए। इससे हादसों का खतरा रहता है। आतिशबाजी चलाते वक्त बच्चों को पटाखों से निश्चित दूरी बनाए रखने के बारे में समझाएं। उन्हें बताएं कि वे पटाखों को झुककर न जलाएं। नवजात शिशु और छोटे बच्चों के आसपास तेज आवाज वाले पटाखे न जलाएं। बच्चों को पटाखे जेब में डालकर घूमने न दें, क्योंकि पटाखों का जहरीला मसाला हाथों में लग जाने से त्वचा को नुकसान हो सकता है। पटाखे चलाते समय सूती और चुस्त कपड़े पहनें। ढीले, झालरों वाले और जरुरत से ज्यादा लंबी आस्तीन के कपड़े नहीं पहनें।
इसके साथ ही पानी से भरी एक बाल्टी रखें जिसमें जली हुई फुलझड़ी व आदि डाल दें।
किसी भी प्रकार के प्राथमिक उपचार के लिए जलने पर लगायी जाने वाली दवा भी रखें। पटाखे जलाते समय पैरों में चप्पल आदि पहनी होनी चाहिये क्योंकि ऐसा नहीं होने पर किसी भी जले हुए पटाखें से पैर जल सकता है।